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ज्वाला गुट्टा ने 'टॉप कार्यक्रम' से बाहर करने के लिये खेल मंत्रालय को लताड़ा

बैडमिंटन में भारत की चोटी की युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने लक्ष्य 'ओलंपिक पोडियम' कार्यक्रम के लिये उन्हें नजरअंदाज करने पर गुरुवार को खेल मंत्रालय पर निशाना साधा और कहा कहा कि देश का मान सम्मान बढ़ाने के लिए इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद वह सरकार से इस तरह के बर्ताव की हकदार नहीं थी.

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Jwala Gutta
Jwala Gutta

बैडमिंटन में भारत की चोटी की युगल खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने लक्ष्य 'ओलंपिक पोडियम' कार्यक्रम के लिये उन्हें नजरअंदाज करने पर गुरुवार को खेल मंत्रालय पर निशाना साधा और कहा कहा कि देश का मान सम्मान बढ़ाने के लिए इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद वह सरकार से इस तरह के बर्ताव की हकदार नहीं थी.

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अश्विनी पोनप्पा के साथ मिलकर विश्व चैंपियनशिप 2011 में कांस्य जीतने वाली ज्वाला ने कहा कि शीर्ष शटलर होने के बावजूद कार्यक्रम में जगह न बनाने पर उन्हें निराशा हुई. ज्वाला ने कहा, ‘मैंने अभी खबर पढ़ी कि अश्विनी और मेरा नाम टॉप कार्यक्रम में शामिल नहीं है. हमें केवल भारत सरकार से सहयोग मिल रहा था और अब इसकी संभावना भी कम हो गई है. जिन खिलाड़ियों को पहले ही कारपोरेट जगत से सहयोग मिल रहा है वे इस सूची में है लेकिन मेरे और अश्विनी के नाम पर विचार नहीं किया गया. मैं नहीं जानती कि इससे ज्यादा और क्या करना है. मैं दुखी और निराश हूं.’

'सरकार कर रही है हतोत्साहित'
उन्होंने कहा, ‘अगर हम बोलते हैं तो इसे विरोध माना जाएगा और नहीं बोलते हैं तो हमें बाहर कर दिया जाएगा. हमने केवल युगल में खेलने के लिये काफी संघर्ष किया है. हमने ऐसा प्रदर्शन किया जिसकी उम्मीद तक नहीं जा रही थी लेकिन संघ ने हमें लगातार हतोत्साहित किया और अब सरकार भी ऐसा कर रही है. हम खुद को कैसे प्रेरित कर सकते हैं. ’

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दुनिया में अभी 19वें नंबर की जोड़ी ज्वाला और अश्विनी ने भी टॉप कार्यक्रम में शामिल करने के लिये सरकार को लिखा था.

'हमें नजरअंदाज किया जा रहा है'
ज्वाला ने कहा, ‘अगर आप प्रदर्शन की बात करो तो हम अभी विश्व में 19वें नंबर पर है. हमने पिछले साल तीन पदक जीते थे. अब हमारा लक्ष्य ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करना है और मैं जानती हूं कि कई लोगों को यह पता नहीं है कि युगल में यह कितना मुश्किल होता है.’

उन्होंने कहा, ‘हमें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है और अगर हम इस पर बात करते हैं तो लोग बोलते हैं तो हम इतना विरोध क्यों करते हैं. हमारे माता पिता और प्रशिक्षकों ने बलिदान दिया है. वे चाहते हैं कि हम अच्छा प्रदर्शन करें लेकिन हमारे संघ और मुख्य राष्ट्रीय कोच ने हमें लगातार नीचा दिखाया.’

- इनपुट भाषा

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