भारतीय क्रिकेट टीम शुक्रवार को जब इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें टेस्ट मैच खेलने के लिए उतरेगी तो उसके सामने न सिर्फ जीत हासिल कर सीरीज की हार को टालने का लक्ष्य रहेगा, बल्कि पिछले दो मैचों में मिली जबरदस्त हार से खुद को उबारने और खोए सम्मान को बचाना भी उसका उद्देश्य होगा.
इंग्लैंड ने भारतीय क्रिकेट टीम को मैनचेस्टर में हुए चौथे मैच में मात्र ढाई दिनों में पारी और 54 रनों के शर्मनाक अंतर से हराया था. इस जीत के साथ ही इंग्लैंड ने सीरीज में 2-1 की अजेय बढ़त भी हासिल कर ली.
लॉर्ड्स में दूसरा मैच हारने के बाद सीरीज में पिछड़ने के बाद इंग्लैंड ने न सिर्फ सीरीज में वापसी कर ली, बल्कि लंबे समय से असफल चल रहे कप्तान एलिस्टेयर कुक के लिए भी पिछली दो जीत संजीवनी साबित हुआ.
मैनचेस्टर में भारतीय टीम ने जिस तरह बिना लड़े लगभग समर्पण करते हुए मैच इंग्लैंड को सौंपा, उससे लगा ही नहीं कि यह वह टीम है जिसने ट्रेंट ब्रिज में हुए पहले मैच में जबरदस्त बल्लेबाजी करते हुए दोनों पारियों में 800 रन बनाए और लॉर्डस में हुए दूसरे मैच में जीत हासिल की थी.
पहले दो मैचों में शानदार प्रदर्शन करने और सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर लेने के बाद भारतीय टीम का प्रदर्शन और बेहतर होने की बजाय गिरता ही गया.
चौथा मैच दो दिन पहले ही समाप्त होने के कारण भारतीय टीम को आखिरी निर्णायक मैच की तैयारी के लिए अतिरिक्त समय मिला, लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इस अहम मुकाबले से पहले बुधवार को अभ्यास करने की बजाय शूटिंग रेंज में भ्रमण करने में बिताया.
तीसरे मैच की अहमियत को देखते हुए लॉर्ड्स में जीत दिलाने वाले तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा की वापसी पर सर्वाधिक चर्चा हो रही है. ईशांत टखने की चोट के कारण तीसरे और चौथे मैच में नहीं खेल सके.
ईशांत स्वस्थ होकर अभ्यास शिविर में वापसी तो कर चुके हैं, लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या वह इतने फिट हैं कि मैच के पांचों दिन का दबाव सहन कर सकें. ईशांत की वापसी की दशा में पंकज सिंह का जाना तय है, जबकि वरुण एरॉन को उनका साथ देने के लिए टीम में बरकरार रखा जाएगा.
ईशांत के अलावा भारतीय टीम में कोई और बदलाव होने की संभावना तो नजर नहीं आ रही, लेकिन यदि मध्यम गति से गेंदबाजी करने वाले हरफनमौला खिलाड़ी स्टुअर्ट बिन्नी को रविंद्र जडेजा की जगह बुलाया जाए तो टीम को गेंदबाजी और बल्लेबाजी में थोड़ी और गहराई मिल सकती है.
दूसरी ओर इंग्लैंड के पास भारत को सीरीज में हराने का सुनहरा मौका है, जिसे वो हर कीमत पर भुनाने की कोशिश करेंगे. हालांकि उनके लिए भी यह उतना आसान नहीं रहेगा, क्योंकि सलामी बल्लेबाज सैम रॉबसन तो उनकी चिंता बने ही हुए हैं, द ओवल की तेज गेंदबाजी वाली पिच पर शॉर्ट पिच गेंदों के खिलाफ उनकी नाकामी भी बड़ी चिंता रहेगी.