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पादुकोण ने राष्ट्रमंडल में बैडमिंटन में दिलाया था पहला स्वर्ण

आल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय स्टार खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने कनाडा के एडमंटन में हुए 1978 राष्ट्रमंडल खेलों में देश को बैडमिंटन में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था, जिसमें भारत ने पांच सोने के तमगे सहित कुल 15 पदक अपनी झोली में डाले थे.

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आल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय स्टार खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने कनाडा के एडमंटन में हुए 1978 राष्ट्रमंडल खेलों में देश को बैडमिंटन में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था, जिसमें भारत ने पांच सोने के तमगे सहित कुल 15 पदक अपनी झोली में डाले थे.

भारत ने इन राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में तीन स्वर्ण जबकि बैडमिंटन एकल और भारोत्तोलन (52 किग्रा) में एक एक स्वर्ण हासिल किया था.

भारतीय दल पांच स्वर्ण, पांच रजत और इतने ही कांस्य पदक जीतकर छठे स्थान पर रहा था, जिसमें 47 देशों ने भाग लिया था और मेजबान कनाडा पदकों की दौड़ में 45 स्वर्ण जीतकर शीर्ष पर रहा था.

कुश्ती में सतवीर सिंह ने बैंथमवेट 57 किग्रा में, अशोक कुमार ने लाइटफ्लाईवेट 48 किग्रा और राजिंदर सिंह ने वेल्टरवेट 74 किग्रा में जबकि भारोत्तोलन में इकाम्बाराइम करूणाकरन ने 205 किग्रा का भार उठाकर सोने का तमगा दिलाया था.

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पादुकोण ने जहां इंग्लैंड के डेरेक टालबोट और रेमंड रे स्टीवंस को पछाड़कर जीत दर्ज की थी, वहीं चार साल बाद बैडमिंटन में भारत की झोली में सोने का तमगा डालने वाले सैयद मोदी क्वार्टरफाइनल मैच में हार गये थे.{mospagebreak}

बेंगलूर में 1955 में जन्में पादुकोण ने कनार्टक की ओर से 1962 में जूनियर चैम्पियनशिप में शुरूआत की थी, जिसमें वह पहले राउंड में हार गये थे लेकिन दो साल बाद उन्होंने राज्य स्तर का जूनियर खिताब अपने नाम किया. वर्ष 1971 में उन्होंने अपने खेलने के स्टाइल में बदलाव किया और आक्रामकता से खेलने लगे.
अगले साल उन्होंने उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर जूनियर और सीनियर स्तर पर खिताब अपने नाम किये. यहीं से उनका स्वर्णिम सफर शुरू हुआ और अगले साल साल उन्होंने राष्ट्रीय खिताब जीते. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण उनका पहला एकल स्वर्ण पदक था. वर्ष 1980 में उन्होंने दानिश ओपन, स्वीडिश ओपन हासिल किये और आल इंग्लैंड चैम्पियनशिप में पुरूष एकल खिताब जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने.

भारोत्तोलन 56 किग्रा में तमिल सेलवान ने 220 किग्रा वजन उठाकर रजत पदक जीता था. कुश्ती में जगमिंदर सिंह (फेदरवेट 62 किग्रा), सुदेश कुमार (फ्लाईवेट 52 किग्रा), सतपाल सिंह (हेवीवेट 100 किग्रा) और जगदीश कुमार (लाइटवेट 68 किग्रा) ने दूसरा स्थान हासिल किया था.

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एथलेटिक्स में सुरेश बाबू ने 7.94 मीटर की लंबी कूद में, मुक्केबाजी में बिरेंदर सिंह थापा ने लाइट फ्लाईवेट (48 किग्रा), कुश्ती में ईश्वर सिंह ने हेवीवेट (प्लस 100 किग्रा) और करतार सिंह ने लाइट हेवीवेट (90 किग्रा) में और बैडमिंटन की महिलाओं की युगल स्पर्धा में अमी घिया और कवंल थाकर सिंह की जोड़ी ने कांस्य पदक प्राप्त किये थे.

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