अभाव से जूझते रहे पाकिस्तानी टेस्ट टीम के एकमात्र पारसी पूर्व क्रिकेटर रूसी दिनशॉ का निधन हो गया. मौत से पहले दिनशॉ कराची में भीख मांगकर गुजारा कर रहे थे. इस खबर के बाद अपने पूर्व खिलाडि़यों का ख्याल नहीं रख पाने के लिए एक बार फिर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) आलोचना के घेरे में है.
1952 में भारत दौरे पर आए थे दिनशॉ
स्किरत्जोफ्रेनिया से जूझ रहे 86 बरस के दिनशॉ को सही देखभाल और सहयोग नहीं मिल सका. बायें हाथ के बल्लेबाज और स्पिनर दिनशॉ 1952-53 में भारत का दौरा करने वाली पाकिस्तानी टीम के सदस्य थे. अपनी मृत्यु से पहले वह कराची पारसी इंस्टीट्यूट और ट्रैफिक सिगनलों पर भीख मांगते रहे.
इस वाकये पर पूर्व टेस्ट कप्तान आमिर सोहेल ने कहा, रूसी दिनशॉ की स्थिति के बारे में सुनकर बहुत बुरा लगा. भले ही उन्होंने कभी टेस्ट मैच नहीं खेला हो लेकिन वह पाकिस्तान की पहली टेस्ट टीम के सदस्य थे. दिनशॉ के परिजनों ने कहा कि साठ के दशक में वह अवसाद से घिरे रहने लगे थे और फिर पता चला कि उन्हें स्किरत्जोफ्रेनिया है. उन दिनों बिजली के झटकों से उसका उपचार होता था जिससे वह टूट गए थे. केपीआई के मुख्य क्यूरेटर हुसैन ने कहा, वह रोज कराची पारसी इंस्टीट्यूट के मैदान पर आते थे और लोगों से पांच दस रुपये मांगा करते थे. मैने उन्हें उनके चरम में देखा है और यह त्रासद है कि पाकिस्तान क्रिकेट में से किसी ने उनकी सुध नहीं ली.