संगीनों और खूंरेजी के साये में क्रिकेट का ककहरा सीखने वाले परवेज रसूल भारत ए टीम में जगह पाने वाले जम्मू कश्मीर के पहले क्रिकेटर हैं. क्रिकेट से उन्हें इस कदर मोहब्बत है कि उन्हें वह हिंसा भी याद नहीं जिससे घाटी की खूबसूरती पर खतरा पैदा हो गया था.
इंग्लैंड एकादश के खिलाफ अभ्यास मैच खेलने वाले 23 बरस के हरफनमौला को 2009 में बेंगलूर पुलिस ने चिन्नास्वामी स्टेडियम पर विस्फोटक मिलने के बाद पूछताछ के लिये हिरासत में लिया था. बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी.
उस घटना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘वह बहुत बुरी घटना थी. चाहे गलती या हुई हो या कोई और कारण हो. मैने उस बारे में ज्यादा नहीं सोचा.’
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से ताल्लुक रखने वाले रसूल ने कहा, ‘मैंने सोचा कि आखिर में तो मैं एक क्रिकेटर हूं और मेरा काम खेलना है. ऐसी घटना किसी के साथ भी हो सकती है और यह दुर्भाग्य की बात है कि उस दिन मैं था.’
उन्होंने कहा , ‘पिछले कुछ दिन मेरे लिये सपने जैसे रहे. मेरे फोन पर बधाई संदेश लगातार मिलते रहे और लोग मेरे बारे में जानना चाहते हैं. यह सब सपने सा लगता है.’ रसूल ने उस मैच में तीन ओवर में 16 रन दिये थे.
यह पूछने पर कि क्या गोलियों की आवाज से कभी उनका ध्यान क्रिकेट से हटा, उन्होंने ना में जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘मुझे ऐसी कोई घटना याद नहीं. मेरा फोकस हमेशा क्रिकेट पर रहा.’
पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे वनडे से पहले अभ्यास सत्र में रसूल ने भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजी की. उन्होंने कहा, ‘मैं इस अनुभव को शब्दों में बयां नहीं कर सकता. मैने धोनी को गेंदबाजी की जिसने मुझे कुछ टिप्स भी दिये. भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम का हिस्सा बनना, टीम बस में बैठना ऐसा अनुभव है जो मैं ताउम्र नहीं भुलूंगा.’
भारत ए के कोच लालचंद राजपूत ने रसूल के बारे में कहा, ‘उसमें काफी प्रतिभा है जिसे अच्छी टीमों के खिलाफ उसे प्रदर्शन में बदलना होगा.’
रसूल ने कहा, ‘किसी भी दूसरे क्रिकेटर की तरह मेरी इच्छा भी भारत के लिये खेलने की है. मुझे पता है कि उसके लिये मुझे लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा और काफी मेहनत करनी पड़ेगी.’
रसूल ने रणजी ट्रॉफी के इस सत्र में अपने ऑफ स्पिन से 33 विकेट झटके हैं और साथ ही 54 की औसत से 594 रन भी बटोरे हैं.