भारतीय हॉकी में चल रही उठापठक के बीच एक और पूर्व कोच ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कोच जोस ब्रासा ने विदेशी कोचों की विवादित विदाई के लिये स्वतंत्रता के अभाव और अधिकारियों के दखल को दोषी ठहराया.
आजादी का अभाव है
ब्रासा ने कहा कि अच्छे कोच हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा के हाथ की कठपुतली बनकर काम नहीं कर सकते. ब्रासा ने डच कोच पॉल वॉन ऐस की बर्खास्तगी पर कहा, 'हॉकी इंडिया कई कोचों को बर्खास्त कर चुका है और भारत में मुझसे पहले रिक चार्ल्सवर्थ भी इसी तरह निकाले गए थे जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कोच हैं. यहां समस्या आजादी के अभाव की है.'
कठपुतली बनाकर रखना चाहते हैं
उन्होंने आगे कहा, 'हॉकी इंडिया और साई शुरूआत में आपको काफी सब्जबाग दिखाते हैं और वादा करते हैं कि आपको खिलाडि़यों के चयन की आजादी होगी लेकिन एक बार करार कर लेने पर यदि वे आपके चुने खिलाड़ियों से खुश नहीं हैं तो दखल देना शुरू कर देते हैं. समस्या आजादी के अभाव की है. भारत में वही कोच लंबा टिक सकता है जो बत्रा के हाथ की कठपुतली बनने को राजी हो. अच्छे विदेशी कोचों को यह मंजूर नहीं होगा और यही वजह है कि आखिर में हम सभी को हटा दिया गया.'
बत्रा को हटाना जरूरी
इस स्पैनिश कोच ने आगे कहा, 'समस्या यह नहीं है कि कोच अपने काम को बखूबी अंजाम देने की कोशिश नहीं करते बल्कि समस्या वह व्यक्ति है जो कोचों को कठपुतली बनाकर रखना चाहता है और उसे हटाना जरूरी है.' वॉन ऐस से पहले ब्रासा, माइकल नोब्स और टैरी वाल्श को भी विवादित ढंग से पद से हटाया गया. ब्रासा ने कहा कि भारत में हॉकी प्रशासकों ने उनके कार्यकाल में उनके साथ गुलाम की तरह बर्ताव किया.
उन्होंने मेरी तनख्वाह नहीं दी
उन्होंने कहा, 'भारतीय हॉकी प्रशासकों के साथ काम करना बहुत मुश्किल है. यदि आप उनकी आज्ञा का पालन करते हैं तो सब कुछ ठीक चलता रहेगा लेकिन उनको रास नहीं आने वाली कोई बात करने पर वे आपको गुलाम समझने लगते हैं. हॉकी इंडिया और साई से मेरा पहला विवाद खिलाड़ियों की हड़ताल के दौरान हुआ. उन्होंने मेरी तनख्वाह नहीं दी और राष्ट्रीय टीम के लिये दोस्ताना तथा अभ्यास मैचों की तैयारी बंद करा दी. हॉकी इंडिया और साई के साथ मेरा अनुभव जीवन का सबसे खराब अनुभव रहा.
भारतीय हॉकी खिलाड़ियों के साथ बिताया समय सर्वश्रेष्ठ
हालांकि उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों के साथ बिताया समय उनका सर्वश्रेष्ठ समय रहा. उन्होंने कहा, 'भारत में मेरा सबसे अच्छा समय खिलाड़ियों के साथ बीता. भारतीय खिलाड़ी काफी प्रतिभाशाली हैं और उनकी प्रतिबद्धता किसी भी कोच को बहुत खुश कर सकती है'.
विदेशी कोच बेहतर रहेगा
यह पूछने पर कि भारतीय हॉकी के लिये विदेशी कोच अच्छा रहेगा या भारतीय, उन्होंने कहा कि भारतीय हालात में विदेशी कोच बेहतर हैं. ब्रासा ने कहा, 'भारतीय हॉकी टीम के इर्द गिर्द काफी राजनीति और निहित स्वार्थ हैं लिहाजा दमदार विदेशी कोच बेहतर होगा. भारतीय कोच के लिए इनसे निपटना अधिक चुनौतीपूर्ण होगा.'
खिलाड़ी प्रतिभावान, प्रशासक बद्मिजाज
उन्होंने कहा कि भारतीय टीम किसी भी स्तर पर पदक जीत सकती है लेकिन बत्रा जैसे खेल प्रशासक अपनी बद्मिजाजी के चलते भारत को इस मौके से महरूम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'भारत के पास सरदार सिंह जैसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं जो किसी भी स्तर पर पदक जीत सकते हैं. भारत के पास इस बार ओलंपिक की तैयारी का लंबा समय था लेकिन बत्रा इस तरह के बर्ताव के चलते उनसे पदक जीतने का मौका छीन रहे हैं.'
इनपुट: भाषा