फॉर्मेट बदला और धोनी के धुरंधरों की किस्मत बदल गई. जी हां, कार्डिफ में खेले गए वनडे मैच में टीम इंडिया ने इंग्लैंड के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की. जीत ऐसी जो कई दर्दों की दवा साबित होगी. डकवर्थ-लुइस नियम के हिसाब से 133 रनों की इस बड़ी जीत के कई हीरो रहे, लेकिन आखिर आपका खिलाड़ी नंबर 1 कौन है?
1. सुरेश रैना
धोनी के अजीज रैना को इस सेंचुरी के लिए करीब 4 साल का इंतजार करना पड़ा. उन्होंने अपना आखिरी शतक 2010 में श्रीलंका के खिलाफ ढाका में बनाया था. उपमहाद्वीप से बाहर अपना पहला शतक जड़ने के लिए भी रैना को 192 मैचों का इंतजार करना पड़ा. ये तथ्य इस पारी की अहमियत बताते हैं. जितनी जरूरत रैना को इस पारी की थी, उतनी ही जरूरत टीम इंडिया को भी. एक बार फिर हमारी शुरुआत खराब रही. सिर्फ 19 पर दो विकेट खो दिए. पिच में स्विंग थी. बल्लेबाजी इतनी आसान भी नहीं थी. पर रैना तो मानो पहले से कुछ तय करके आए थे. उन्होंने आक्रामक बैटिंग कर हर इंग्लिश गेंदबाज की जमकर खबर ली. मुश्किल पिच पर मात्र 75 गेंदों में 12 चौके और तीन छक्के की मदद से 100 रन बनाए.
2. रवींद्र जडेजा
जिस जडेजा को टेस्ट मैच में प्लेइंग इलेवन में शामिल करने के लिए महेंद्र सिंह धोनी की जमकर आलोचना हुई, वही बुधवार के मैच में बेहतर खेले. भले ही इंग्लिश बल्लेबाजों ने टेस्ट में उन्हें बेहद आसानी से खेला. लेकिन कार्डिफ वनडे में उनके पास जडेजा की फिरकी का कोई जवाब नहीं था. ऐसा नहीं था कि पिच स्पिनरों के लिए मददगार थी. पर जडेजा ने पेस और फ्लाइट का बेहतरीन इस्तेमाल कर अंग्रेजों को चकमा देने में कामयाब रहे. जडेजा ने इस मुकाबले में 7 ओवर में 28 रन खर्चकर 4 विकेट झटके.
3. रोहित शर्मा
ओपनिंग बल्लेबाज रोहित शर्मा के टैलेंट को लेकर कोई सवाल नहीं उठता. बस उनके प्रदर्शन में निरंतरता देखने को नहीं मिलती, जिससे निराशा होती है. पर जब रोहित खेलते हैं...दिल को सुकून देने वाली बैटिंग करते हैं. कार्डिफ में भारतीय पारी की नींव रोहित ने ही रखी. रहाणे के साथ मिलकर टीम को मुश्किलों से निकाला. अच्छी गेंदों का सम्मान किया और खराब गेंदों को बाउंड्री पार पहुंचाया. स्विंग और सीम मूवमेंट के सामने कभी भी दबाव में नहीं दिखे. धैर्य के साथ बल्लेबाजी करते रहे. उन्होंने 87 गेंदों का सामना करके 4 चौके और एक छक्के की मदद से 52 रन बनाए.
4. महेंद्र सिंह धोनी
माही वनडे के जादूगर हैं. हर मुकाबले में अपना प्रभाव छोड़ते हैं. चाहे वह बल्ले से हो या फिर कप्तानी. हर डिपार्टमेंट में विरोधियों को चकमा देना. जूझते रहना. और फिर मौका मिलते ही जोरदार वार करना. शायद माही की इन खूबियों की वजह से ही हम वर्ल्ड चैंपियन बने. धोनी ने इस मुकाबले में रैना के साथ पांचवें विकेट के लिए 144 रनों की साझेदारी में अहम रोल निभाया. उन्हें मालूम था कि रैना अच्छा खेल रहा है. उसके बल्ले से रन आसानी से निकल रहे हैं. इसलिए वह सिंगल-डबल के खेल पर ध्यान देते रहे. जब मौका मिला, तब रन बटोरने में भी नहीं कतराए. इसी खेल के जरिए उन्होंने 51 गेंदों में 6 चौके की मदद से 52 रन बटोरे. धोनी की कप्तानी भी सटीक रही.