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पूनिया ने रचा इतिहास, 52 साल बाद जीता सोना

स्टार एथलीट कृष्णा पूनिया ने महिलाओं की चक्का फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स में नया इतिहास रचने के साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों में पिछले 52 साल से भारत का ट्रैक एवं फील्ड में सोने का तमगा हासिल नहीं कर पाने का मिथक भी तोड़ दिया.

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स्टार एथलीट कृष्णा पूनिया ने सोमवार को महिलाओं की चक्का फेंक में स्वर्ण पदक जीतकर भारतीय एथलेटिक्स के नया इतिहास रचकर राष्ट्रमंडल खेलों में पिछले 52 साल से भारत का ट्रैक एवं फील्ड में सोने का तमगा हासिल नहीं कर पाने का मिथक तोड़ दिया.

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पूनिया पहली भारतीय महिला एथलीट हैं जिन्होंने इन खेलों में सोने का तमगा हासिल किया. यही नहीं भारत की ही हरवंत कौर ने रजत जबकि राष्ट्रीय रिकार्डधारक सीमा एंतिल ने कांस्य पदक जीता. इस तरह से राष्ट्रमंडल खेलों में पहला अवसर है जबकि पहले तीन स्थान भारतीय खिलाड़ियों ने हासिल किये.

भारत की तरफ से इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक 1958 में कार्डिफ में उड़न सिख मिल्खा सिंह ने 440 गज की दौड़ में जीता था. पूनिया को शुरू से ही स्वर्ण पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और यह 28 वर्षीय एथलीट जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 30 से 35 हजार दर्शकों के अपार समर्थन के बीच अपेक्षाओं पर खरी उतरने में सफल रही. {mospagebreak}

उन्होंने अपने पहले प्रयास में 61.51 मीटर चक्का फेंका जो आखिर तक किसी भी अन्य एथलीट की पहुंच से बाहर रहा. हरवंत कौर ने तीसरे प्रयास में 60.16 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जबकि सीमा ने अपने दूसरे प्रयास में फेंके गये 58.46 मीटर चक्का के दम पर कांस्य पदक हासिल किया. भारत ने इस तरह से इस बार अब तक एथलेटिक्स में एक स्वर्ण, तीन रजत और इतने ही कांस्य पदक पदक सहित कुल सात पदक हासिल कर लिये हैं.

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पूनिया, हरवंत और सीमा से पहले विकास गौड़ा (पुरुषों के चक्का फेंक) और प्रजूषा (महिलाओं की लंबी कूद) ने रजत जबकि कविता राउत (महिलाओं की दस हजार मीटर दौड़) और हरमिंदर सिंह (पुरुषों की 20 किमी पैदल चाल) ने कांस्य पदक जीते थे. राजस्थान के चुरू जिले की रहने वाली पूनिया ने बाद में कहा, ‘मुझे बहुत खुशी है कि मैं राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हूं. यह मेरे लिये ही नहीं पूरे भारत के लिये गौरव का क्षण है. मैं यह पदक भारतीयों को समर्पित करती हूं.’

पूनिया को इस स्वर्णिम सफलता के लिये बधाई देने वालों में स्वयं मिल्खा भी मौजूद थे. उन्होंने पूनिया को अपने गले लगाकर बधाई दी. पूनिया हालांकि अपने इस सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (63.69 मीटर) तक नहीं पहुंच पायी लेकिन उनकी यह उपलब्धि भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी. {mospagebreak}

पूनिया की इस स्वर्णिम सफलता के अलावा भारत की चार गुणा 400 मीटर महिला टीम और चार गुणा 100 मीटर की पुरुष टीम ने फाइनल में पहुंचकर पदक की उम्मीदें बढ़ा दी हैं लेकिन पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही टिंटु लुका ने निराश किया जो 800 मीटर में छठे स्थान पर रही. टिंटु आधी दूरी तक पहले स्थान पर चल रही थी लेकिन इसके बाद स्वर्ण पदक विजेता कीनियाई नैन्सी लागेट ने उन्हें पीछे छोड़ दिया जिसके बाद वह पिछड़ती रही और आखिर में दो मिनट 1.25 सेकेंड में दौड़ पूरी कर पायी और इस तरह से इस सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ समय के अनुरूप भी प्रदर्शन करने में नाकाम रही.

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भारत की चार गुणा 400 मीटर महिला टीम ने हीट एक में तीन मिनट 32.52 सेकेंड के समय के साथ पहले स्थान पर रहकर फाइनल के लिये क्वालीफाई किया जबकि इसी वर्ग में पुरुष टीम तीन मिनट 6.30 सेकेंड के साथ अपनी हीट में चौथे स्थान पर रहने के बावजूद फाइनल में प्रवेश करने में सफल रही. इसके अलावा भारत की चार गुणा 100 मीटर की टीम ने भी 39.00 सेकेंड के समय के साथ अपनी हीट में पहले स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनायी. {mospagebreak}

महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में गायत्री गोविंदराज ने निराश किया और वह अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के करीब भी नहीं पहुंच पायी. गायत्री ने 13.95 सेकेंड का समय निकाला जो उनके व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 13.95 से काफी अधिक है. पुरुषों की 300 मीटर स्टीपलचेज में इलेम सिंह और रामचंद्र रामदास क्रमश: नौंवे और दसवें स्थान पर रहे. पुरुषों के पोल वाल्ट में गजानन उपाध्याय नौवें स्थान पर रहे जबकि वी नटराजन एक बार भी सही तरह से नहीं कूद पाये.

पुरुषों की 1500 मीटर दौड़ में हमजा चातोली और संदीप करन भी क्वालीफाई करने में असफल रहे. हमजा ने हालांकि तीन मिनट 44.72 सेकेंड का समय निकाला जो इस सत्र का उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. आस्ट्रेलिया की सैली पियर्सन ने 100 मीटर का स्वर्ण छीने जाने की निराशा से उबरते हुए महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में 12.67 सेकेंड का समय लेकर खेलों के नये रिकार्ड के साथ स्पर्धा का खिताब जीता.

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एथलेटिक में महिलाओं की 200 मीटर दौड़ भी विवादों से घिरी रही जिसका फाइनल रविवार की बजाय सोमवार को आयोजित करना पड़ा. इसमें कैमेन आइलैंड की कैमिली मदरसिल 22.89 सेकेंड का समय लेकर विजेता रही जो उनके देश का इन खेलों में पहला स्वर्ण पदक है.

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