राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान पुलिस और अर्धसैनिक बल जहां हवाई हमले और बम विस्फोट जैसे खतरे की आशंका पर नजर रखेंगे, वहीं निजी सुरक्षा एजेंसियों के यातायात और भीड़ पर नियंत्रण किए जाने की संभावना है.
सेंट्रल ऐसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री :साप्सी: के मुताबिक दिल्ली सरकार अभी नियुक्तियों की प्रक्रिया पूरी कर रही है और उचित समय आने पर निजी सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारियां तय की जाएंगी.
साप्सी के अध्यक्ष कुंवर विक्रम सिंह ने बताया, ‘दिल्ली में निजी सुरक्षा एजेंसियों में लगभग तीन लाख सुरक्षाकर्मी काम करते हैं. राष्ट्रमंडल खेलों के लिए जितने नागरिक प्रतिष्ठान बने हैं, हम उन सभी को सुरक्षा देंगे.’ निजी सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों का मानना है कि मेलबर्न में हुए राष्ट्रमंडल खेलों की तुलना में भारत में खतरा ज्यादा है क्योंकि भारत में खिलाड़ियों, आयोजकों और आम लोगों की संख्या मेलबर्न की तुलना में ज्यादा रहने वाली है.
राजधानी की अग्रणी निजी सुरक्षा एजेंसी जीफोरएस इंडिया की उपाध्यक्ष, मार्केंटिंग मानसी गुप्ता ने कहा ‘‘राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़े कई निजी लोगों ने हमसे संपर्क करके मांग की है कि हम खेलों के दौरान उनकी मदद करें.’