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अपनी बारी का इंतजार करते रह गए चेतेश्वर पुजारा

ऐसी उम्मीद थी कि सौराष्ट्र के माहिर बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा धर्मशाला में रविवार को इंग्लैंड के साथ जारी पांचवें और अंतिम एकदिवसीय मुकाबले के लिए अंतिम एकादश में जगह बनाने में सफल रहेंगे लेकिन ऐसा हो न सका.

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चेतेश्वर पुजारा
चेतेश्वर पुजारा

ऐसी उम्मीद थी कि सौराष्ट्र के माहिर बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा धर्मशाला में रविवार को इंग्लैंड के साथ जारी पांचवें और अंतिम एकदिवसीय मुकाबले के लिए अंतिम एकादश में जगह बनाने में सफल रहेंगे लेकिन ऐसा हो न सका.

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कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले में अपनी टीम सौराष्ट्र के लिए 352 रनों की मैराथन पारी खेलने के बाद पुजारा को इंग्लैंड के साथ खेली जाने वाली एकदिवसीय श्रृंखला के लिए टीम में शामिल किया गया था.

ऐसी उम्मीद थी कि वह राजकोट में खेले जाने वाले पहले मुकाबले के लिए अंतिम एकादश में जगह पा लेंगे लेकिन भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने मैच की पूर्व संध्या पर ही संकेत दे दिया था कि पुजारा का खेलना तय नहीं है.

इसके बाद भारतीय टीम कोच्चि, रांची और मोहाली में खेली और जीती भी लेकिन पुजारा को मौका नहीं मिला. वह ड्रेसिंग रूम की शोभा ही बढ़ाते रहे.

मोहाली में जीत हासिल करके हुए भारतीय टीम ने जब पांच मैचों की इस श्रृंखला में 3-1 की अजेय बढ़त हासिल की तो लगा कि कप्तान धोनी इस शानदार खिलाड़ी की हौसलाअफजाई के लिए उन्हें धर्मशाला में एकदिवसीय क्रिकेट में पर्दापण का मौका देंगे लेकिन रविवार को टॉस के बाद पुजारा के लिए कोई जगह नहीं बन सकी.

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उधर, मुंबई में सौराष्ट्र की टीम 75 साल बाद रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची है और शनिवार को मेजबान टीम के खिलाफ पहली पारी में 148 रन ही बना सकी. अगर पुजारा इस टीम का हिस्सा होते तो शायद सौराष्ट्र की स्थिति यह नहीं होती.

एक कहावत है-'न घर के रहे न घाट के'. पुजारा का इन दिनों यही हाल हो गया है. वह तो घरेलू टीम के लिए खेल पा रहे हैं और न ही राष्ट्रीय टीम में जगह पा रहे हैं.

आंकड़ों के लिहाज से पुजारा की उम्मीदवारी किसी से कम नहीं. कर्नाटक के खिलाफ रणजी मुकाबले में 37 और 352, मध्य प्रदेश के खिलाफ 10 और 203 नाबाद के अलावा वह इंग्लैंड के साथ खेली गई टेस्ट श्रृंखला में एक शतक और एक दोहरा शतक लगा चुके हैं.

टेस्ट टीम में पुजारा को राहुल द्रविड़ का स्थानापन्न माना जा रहा है लेकिन एकदिवसीय टीम में उनके लिए कोई स्थान नहीं. द्रविड़ के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था. वह टेस्ट टीम का अभिन्न हिस्सा थे लेकिन एकदिवसीय क्रिकेट के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते थे.

इसके बाद द्रविड़ ने न्यूजीलैंड दौरे पर कुछ बेहतरीन एकदिवसीय पारियां खेलकर यह साबित किया कि वह क्रिकेट के दोनों स्वरूपों में बराबर उस्तादी रखते हैं. पुजारा को भी कुछ ऐसा ही करना होगा.

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पुजारा को इसके लिए मौके की तलाश है लेकिन यह मौका इस साल गर्मियों तक उन्हें नहीं मिलने वाला है क्योंकि भारत को इंग्लैंड के बाद ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट श्रृंखला खेलनी है और फिर पूरी दुनिया आईपीएल की चकाचौंध में व्यस्त हो जाएगी.

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