ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट राज्यवर्धन सिंह राठौर ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि जब उन्होंने पहली बार खेलों के महाकुंभ में मेडल जीतने का ख्वाब देखा था तब लोगों ने उन्हें ‘पागल’ कहा था.
ट्रैप शूटर राठौर ने 2004 के एथेंस ओलंपिक खेलों में ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता था. उनसे पहले भारत को ओलंपिक की किसी भी व्यक्तिगत स्पर्धा में सिल्वर मेडल नहीं मिला था. इसके बाद 2008 के बीजिंग ओलंपिक में एक और निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने इसे बेहतर करते गोल्ड मेडल जीता था.
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने ओलंपिक में जीतने की तैयारी करनी शुरू की थी तब लोगों ने मुझे पागल कहा था.’ अर्जुन अवॉर्ड विजेता खिलाड़ी और वर्तमान में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री ने खिलाड़ियों की वर्तमान पीढ़ी को अपने अपने खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रेरित करते हुए कहा, ‘लेकिन मैंने कड़ी मेहनत की और देश के लिए गौरव अर्जित करने के लिए प्रतिबद्ध था.’
इनपुट भाषा से