पूर्व कप्तान अजरुन रणतुंगा ने बुधवार को क्रिकेट बोर्ड और सरकार की श्रीलंकाई खिलाड़ियों को आईपीएल में खेलने की अनुमति देने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे श्रीलंका के खिलाफ लगाये जा रहे मानव अधिकार हनन के आरोपों का समर्थन करार दिया.
रणतुंगा ने कहा, ‘इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया कि जयललिता और करुणानिधि दोनों श्रीलंकाई खिलाड़ियों को तमिलनाडु में खेलने से इसलिए रोकना चाहते हैं क्योंकि वे श्रीलंका पर मानव अधिकारों के हनन का आरोप लगा रहे हैं. इसलिए तमिलनाडु को छोड़कर अन्य (भारतीय) राज्यों में खेलने का मतलब हमारे देश के खिलाफ लगाये गये मानव अधिकार हनन के आरोपों का समर्थन है.’
उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों को भी इस बात से वाकिफ होना होगा कि दुनिया कहेगी कि श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने अनजाने में मानव अधिकार हनन के आरोपों का समर्थन किया.’ रणतुंगा ने तमिलनाडु के दोनों नेताओं पर खेलों के साथ राजनीति करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘वे तमिलनाडु में चुनावों के समय को छोड़कर कभी उत्तर और पूर्व (श्रीलंका) के तमिलों के कल्याण के लिये चिंतित नहीं रहे.’ उन्होंने इस मसले पर आईपीएल आयोजकों के रवैये की भी आलोचना की. रणतुंगा ने कहा, ‘वे श्रीलंकाई खिलाड़ियों के बिना दक्षिण भारत में खेलना चाह रहे हैं. यह श्रीलंकाई खिलाड़ियों की पहचान मिटाने जैसा है.’
रणतुंगा ने यह टिप्पणी सरकार द्वारा 13 खिलाड़ियों को चेन्नई में होने वाले मैचों से दूर रहने की शर्त पर आईपीएल में खेलने की अनुमति देने के बाद आयी है. इससे पहले रणतुंगा ने श्रीलंकाई क्रिकेटरों को चेन्नई में होने वाले मैचों से दूर रखने के आईपीएल की संचालन परिषद के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए अपने देश के खिलाड़ियों को तीन अप्रैल से शुरू होने वाले इस टी-20 टूर्नामेंट से हटने के लिये कहा था.
रणतुंगा ने कहा, ‘जहां तक क्रिकेटरों का सवाल है तो मैं समझता हूं कि यदि वे दक्षिण भारत (चेन्नई) में नहीं खेल सकते है तो उन्हें दूसरे हिस्सों में भी नहीं खेलना चाहिए. मेरी निजी राय है कि यदि खिलाड़ियों का भारत के एक हिस्से में स्वागत नहीं होता है तो उन्हें आईपीएल का हिस्सा नहीं बनना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण भारतीय राजनीतिज्ञ युद्ध अपराधों का बहाना बना रहे हैं. खिलाड़ियों को इस पर विचार करके देश के बारे में सोचना चाहिए और पूरे इंडियन प्रीमियर लीग से हट जाना चाहिए.’