धोनी के धुरंधरों ने मार लिया है मैदान. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी पर अब है हमारा कब्जा. बेहद ही रोमांचक मुकाबले में इंग्लैंड को 5 रनों से पटखनी देने के बाद टीम इंडिया ने दिखा दिया कि 2011 की वर्ल्ड चैंपियन टीम अपने घर में ही नहीं विदेशी मैदानों पर चैंपियन बनने का माद्दा रखती है.
बारिश के खलल के बाद जब मुकाबला वनडे से टी20 में तब्दील हो गया तो भारत के जीतने की उम्मीदें बढ़ गई थीं. पर पहले बल्लेबाजी करने के बाद मात्र 129 का स्कोर से ये उम्मीदें धूमिल होने लगी थीं. पर एक बार फिर गेंदबाजों ने जिम्मेदारी उठाई और टीम को चैंपियन बना डाला.
माही की रणनीति, रवींद्र जडेजा और आर अश्विन की घातक गेंदबाजी के साथ भारी दबाव में बीच बेहतरीन प्रदर्शन करने के जज्बा ने टीम इंडिया को फिर से चैंपियन बना डाला. इस जीत के कई कारण रहे, चाहे मुश्किल में फंसी पारी को संवारने के लिए विराट कोहली और रवींद्र जडेजा की साझेदारी हो या फिर ईशांत शर्मा का वो आखिरी ओवर जिसमें लगातार दो विकेट गिरे. इनके अलावा भी कई और अन्य पहलू हैं जिन्होंने इस शानदार जीत में अहम भूमिका निभाई.
बड़े मैचों का खिलाड़ी है विराट कोहली
आज के दिन में विराट कोहली पूरी दुनिया के सबसे बेहतरीन वनडे बल्लेबाजों में से एक हैं. जब मामला बड़े मैच का हो तो उनका प्रदर्शन और भी निखर जाता है. बर्मिंघम की पिच में हल्की स्विंग थी और साथ में बाउंस भी. इन मुश्किल परिस्थितियों में कोहली ने एक बार फिर डटे रहे. भारत की लड़खड़ाती पारी के लिए वह संकटमोचक बनकर सामने आए. कम स्कोर वाले इस मुकाबले में कोहली ने 34 गेंदों में 43 रन की पारी खेली. साथ ही छठे विकेट के लिए जडेजा के साथ 47 रन की अहम साझेदारी की.
बल्ले से भी रॉकस्टार बने रवींद्र जडेजा
हरफनमौला खिलाड़ी जडेजा इस मैच में मैन ऑफ द मैच रहे. विकेटों से ज्यादा उनके बल्ले से निकले 33 रन कहीं ज्यादा अहम थे. इस बूते ही टीम इंडिया सम्मानजनक स्कोर हासिल करने में कामयाब रही. जडेजा ने मात्र 25 गेंदों में 2 चौकों और 2 छक्कों की मदद से नाबाद 33 रन बनाए. छठे विकेट के लिए कोहली के साथ बनाए 47 रन के कारण ही भारत अपने निर्धारित 20 ओवर में 129 बनाने में कामयाब हो सका.
फाइनल के लिए अपना बेस्ट बचा रखा था अश्विन ने
आर अश्विन ने इस टूर्नामेंट में अबतक ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था. विरोधी टीमों के पास उनकी कोई काट तो नहीं थी. पर विकेटों के लिहाज से उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली थी. शायद अश्विन ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को फाइनल मुकाबले के लिए ही बचा रखा था. अश्विन ने इस मुकाबले में 4 ओवर में मात्र 15 रन देकर दो विकेट हासिल किए. उन्होंने शानदार फॉर्म में चल रहे इंग्लिश बल्लेबाज जोनाथन ट्रॉट और जो रूट को पैवेलियन लौटाया. धोनी ने उनसे मैच का आखिरी ओवर भी डलवाया. इस ओवर में इंग्लैंड में जीत के लिए इंग्लैंड को 15 रन की जरूरत थी पर अश्विन की फिरकी के सामने अंग्रेजों के लिए यह बेहद ही मुश्किल लक्ष्य साबित हुआ.
माही की रणनीति को समझना मुश्किल ही नहीं, नामुमिकन है
फाइनल मुकाबले में यह तो साबित हो गया कि क्रिकेट मैदान पर कैप्टन कूल से माहिर रणनीतिकार शायद ही कोई है. धोनी ने कम स्कोर वाले इस मुकाबले में जिस तरह अपने गेंदबाजों का इस्तेमाल किया, नतीजा यह था कि एक साझेदारी को छोड़कर कोई भी भी इंग्लैंड बल्लेबाज क्रीज पर नहीं जम सका. पिच का मिजाज भांपते हुए धोनी ने अपने ट्रंप कार्ड के तौर पर स्पिनरों का इस्तेमाल आखिर में किया जो मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ. लगातार रन लुटाने के बावजूद ईशांत पर माही ने अपना भरोसा दिखाया. धोनी की इसी रणनीति ने मैच का रुख बदल डाला. ईशांत ने अपने एक ओवर में लगातार दो विकेट झटककर इंग्लैंड से जीत छीन ली.
वो ओवर जिसने बदल डाली मैच की तस्वीर
इंग्लैंड पारी के 18वें ओवर ने मैच की पूरी तस्वीर बदल डाली, और इस ओवर के लिए धोनी ने गेंदबाजी की जिम्मेदारी ईशांत शर्मा को सौंपी थी. कॉमेंट्री बॉक्स में बैठे क्रिकेट पंडित इसे बड़ी भूल मान रहे थे. उनका ऐसा कहना भी जायज था, ईशांत ने अब तक अपने 3 ओवरों में 27 रन लुटाए थे. ऐसे में यह ओवर भारत की हार पक्की कर सकता था पर हुआ कुछ इससे ठीक उल्ट. ईशांत और भारत के लिए इस ओवर की शुरुआत बेहद ही खराब रही. मोर्गन के बल्ले से निकला एक छक्का और फिर लगातार दो वाइड. पर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. ईशांत ने लगातार दो गेंदों पर इयॉन मोर्गन और रवि बोपारा को पवैलियन लौटाया. दोनों बल्लेबाजों के बीच 64 रन की घातक साझेदारी तोड़कर ईशांत ने मैच में भारत का पलड़ा भारी कर दिया. फिर रही सही कसर जडेजा और अश्विन ने पूरी कर दी.
बारिश ने बदला पिच का मिजाज
इंग्लैंड में आमतौर पर पिचों में बाउंस और स्विंग होता है. हालांकि, पूरे चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ऐसा अनुभव इक्का-दुक्का मैचों में ही मिला. ज्यादातर पिच भारतीय टीम के लिए ज्यादा उपयुक्त थीं. पर फाइनल मुकाबले के लिए इस्तेमाल की गई बर्मिंघम का पिच इससे ठीक उलट थी, जो टीम इंडिया के लिए खतरे की घंटी थी. पर बारिश ने पिच की मिजाज ही बदल डाला. पहली पारी में जब भारत ने बल्लेबाजी की तो इस पिच में टूर्नामेंट में अब तक इस्तेमाल किए गए अन्य पिचों से ज्यादा बाउंस था. पर गेंद स्पिन भी हो रही थी. जब भारतीय गेंदबाजी की बारी आई तो यह पिच भारत के टर्निंग पिचों की तरह व्यवहार करने लगी. फिरकी गेंदबाजों को जबर्दस्त टर्न मिलने लगा जो कि इंग्लैंड के लिए फांस साबित हुआ. कप्तान धोनी ने भी माना कि बारिश होने के कारण गेंद टर्न होने के साथ रुक-रुक कर बल्ले पर आ रही थी. इसका फायदा अश्विन, जडेजा और रैना की तिकड़ी ने जमकर उठाया.
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