हिजाब पहनकर प्रतियोगिताओं में शिरकत करने वाली कतर की शीर्ष महिला एथलीट मरियम फरीद ने कहा कि वह कभी अपनी पहचान से समझौता नहीं करेगी, लेकिन उन्हें धर्म के साथ थोड़ा फैशन जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है.
मरियम अगले साल कतर में होने वाली आईएएएफ विश्व चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटी हैं. उन्हें 400 मीटर बाधा दौड़ में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘शुरू में मैं लंबी शर्ट पहनती थी और बाद में छोटी शर्ट पहनने लगी, लेकिन अब मैं कुछ आसान और आरामदायक खोजने की कोशिश कर रही हूं. इससे (हिजाब) मेरी तेजी प्रभावित नहीं होती है. यहां तक कि अगर यह अगर मेरी गति धीमी करता है, तो यह है, जिसमें मैं सहज महसूस करती हूं, यह मेरी पहचान है.’
Congratulations to #TeamQatar athlete Mariam Farid getting the silver medal 🥈 in triple jump competitions in the Athletics championship for West Asia, Jordan 2018.
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— Team Qatar (@qatar_olympic) July 11, 2018Advertisement
पूरे शरीर को ढककर दौड़ने से तेजी प्रभावित नहीं होती है यह साबित करने के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई धाविका कैथी फ्रीमैन का उदाहरण दिया, जो 2000 में पूरे शरीर को ढकने वाली पोशाक पहनकर महिलाओं की 400 मीटर में ओलंपिक चैंपियन बनी थी.
मरियम हिजाब पहनने वाली अकेली एथलीट नहीं हैं. करिमन अब्दुलजादायेल जब रियो ओलंपिक खेलों में 100 मीटर में भाग लेने वाली सऊदी अरब की पहली महिला एथलीट बनी थीं. तब उन्होंने भी पूरे शरीर को ढकने वाली पोशाक पहन रखी थी.
मरियम हालांकि हिजाब को आधुनिक रूप देना चाहती हैं, जो अधिकतर इस्लामी देशों में महिलाओं के लिए अनिवार्य है. वह ऐसे हिजाब तैयार करना चाहती हैं जो एक महिला की खूबसूरती में इजाफा करेगा.
उन्होंने कहा, ‘मैं खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहती हूं, जो महिलाओं की युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने और प्रेरित करने में मदद करे. कोई भी ब्रांड खेलों में महिलाओं के हिजाब पहनने को लेकर गंभीर नहीं है. नए रास्ते खोलने का विचार अच्छा होगा.’
मरियम ने कहा, ‘हाल में नाइकी ने मुझे एक हिजाब दिया. जो भी हो, लेकिन (हंसते हुए) यह बुरा दिख रहा था. हम चाहते हैं कि नाइकी ओर एडिडास जैसे ब्रांड हमारे लिए कुछ खूबसूरत (हिजाब) तैयार करें.’
मरियम फिर कैसा हिजाब तैयार करना चाहती हैं, उन्होंने कहा, ‘खूबसूरत. मुझे अजीब नहीं दिखना चाहिए. केवल इसलिए कि मैं स्कार्फ पहन रही हूं, इससे मेरी खूबसूरती कम नहीं होनी चाहिए. यह फैशनेबल होना चाहिए. निश्चित तौर पर धर्म और फैशन साथ चल सकते हैं.’