भारत के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि बीसीसीआई टेस्ट मैचों को लेकर अधिक गंभीर नहीं है तथा टेस्ट मैचों के बीच कोई अभ्यास मैच नहीं रखने के कारण भारत को इंग्लैंड के हाथों सीरीज में 1-3 से हार झेलनी पड़ी. वेंगसरकर ने कोच डंकन फ्लैचर की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पूरे कोचिंग स्टाफ को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्होंने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की नेतृत्वक्षमता की भी आलोचना की. अपने करियर में 116 टेस्ट मैच खेलने वाले वेंगसरकर ने संदीप पाटिल की अगुवाई वाली चयन समिति के बारे में कहा कि वह दूरदृष्टा नहीं है. लार्डस में लगातार तीन टेस्ट शतक लगाने वाले वेंगसरकर से खास बातचीत के अंश इस प्रकार हैं:
पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में इस शर्मनाक हार का आपकी नजर में क्या कारण है?
पहला और सबसे अहम कारण बीसीसीआई टेस्ट क्रिकेट को बहुत अधिक महत्व नहीं दे रहा है और इसका सबूत यह है कि पांच टेस्ट मैचों के लिये कोई खास तैयारी नहीं की गयी. इसके अलावा कार्यक्रम भी गलत तैयार किया गया. टेस्ट मैचों के बीच में कोई अभ्यास मैच नहीं रखा गया जिससे कि खराब फार्म में चल रहे खिलाड़ी फार्म में लौट सकें और बाहर बैठे सात रिजर्व खिलाड़ियों को मैच अभ्यास का मौका मिले.
हम 18 खिलाड़ियों को लेकर गये और लगभग इतने ही तथाकथित सहयोगी स्टाफ के कर्मचारी थे. गेंदबाजी 20 विकेट लेने में सक्षम नहीं दिख रही थी और बल्लेबाज फार्म में नहीं थे. उनके पास मूव करती गेंद को खेलने के तकनीक ही नहीं प्रतिबद्धता और जुझारूपन की कमी भी थी. वे बलि के बकरे की तरह दिख रहे थे और उन्होंने लगातार एक जैसी गलतियां की. मुझे हैरानी है कि बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण कोच क्या कर रहे थे?
क्या पहले यहां और बाद में इंग्लैंड में टीम का चयन गलत किया गया?
चयनकर्ताओं का काम आसान था क्योंकि उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संभावित 18 खिलाड़ियों की टीम का चयन कर दिया. उन्होंने विकल्प तैयार करने के बारे में नहीं सोचा. उनमें विजन की कमी और कड़े फैसले करने का साहस नहीं था. उन्होंने सबसे सरल रास्ता चुना.
क्या आपको लगता है कि रविंद्र जडेजा-जेम्स एंडरसन के बीच झगड़े और भारत का एंडरसन को प्रतिबंधित करने पर जोर देने से टीम का ध्यान भंग हुआ?
मैं ऐसा नहीं मानता. ऐसी घटनाएं टेस्ट क्रिकेट का हिस्सा हैं. यदि आपको ऐसी चीजें प्रभावित करती है तो फिर टेस्ट क्रिकेट आपके लिये सही जगह नहीं है. ऐसे में आप टेस्ट क्रिकेट नहीं हल्के फुल्के खेल का चुनाव कर सकते हैं.
इस हार के लिये आप धोनी की कप्तानी और फ्लैचर की कोचिंग को कितना जिम्मेदार मानते हो. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और अब इंग्लैंड में लगातार हार से क्या इन दोनों को हटा देना चाहिए?
धोनी ने टीम की अगुवाई अच्छी तरह से नहीं की. उसकी चयन नीति, रणनीति, क्षेत्ररक्षण की सजावट और गेंदबाजी में बदलाव में व्यावहारिक समझ की कमी दिखी. उसने मैच दर मैच कुछ बड़ी गलतियां की जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा. यह उसका और भारत का दुर्भाग्य है कि उसके पास डंकन फ्लैचर जैसा कोच है जिसके पास कोई आइडिया नहीं है और वह नहीं जानता कि चीजों को कैसे बदलना है. लगता है कि वह युवा टीम को प्रेरित नहीं कर पा रहा है. सच्चाई यह है कि सहयोगी स्टाफ और थिंक टैंक ने टीम को बुरी तरह से नीचा दिखाया. उम्मीद है कि बीसीसीआई उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करेगी.