अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का जादू भी शिकागो को ओलंपिक मेजबानी दिलाने में नाकाम रहा और ब्राजील के शहर रियो डि जेनेरियो ने 2016 में होने वाले खेल महांकुभ की मेजबानी हासिल करके बाजी मार ली.
रेस में कई शहर पीछे छूटे
दुनिया के सबसे ताकतवर व्यक्ति का भावनात्मक आग्रह भी काम नहीं आया. इससे ओलंपिक की मेजबानी को लेकर चली कड़ी जंग का पता भी चलता है, जिसमें रियो डि जेनेरिया ने मैड्रिड, तोक्यो और शिकागो को पीछे छोड़कर ओलंपिक का मेजबान बनने का गौरव हासिल किया.
पहली बार द. अमेरिकी शहर को मेजबानी
यह पहला अवसर होगा जबकि दक्षिण अमेरिका के किसी शहर में इन खेलों का आयोजन किया जाएगा. रियो डि जेनेरियो के लिये हालांकि मेजबानी हासिल करना आसान नहीं रहा. होनोलुलु में जन्मे ओबामा अपने विरोधियों की आलोचना को दरकिनार करके शिकागो का पक्ष रखने के लिये स्वयं यहां मौजूद थे. वे डेनमार्क की राजधानी में जितने समय भी रहे, उनका एकमात्र एजेंडा शिकागो को मेजबानी दिलवाना रहा, पर उनकी कोशिशें रंग नहीं ला सकीं.