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इतिहास बनाने से चूके रोहित शर्मा, नहीं हो सके 'फेब-5' क्लब में शामिल

कोलकाता टेस्ट सचिन तेंदुलकर के 199वें टेस्ट की वजह से ही यादगार नहीं रहेगा बल्कि यह अंपायरों द्वारा दिए गए विवादास्पद निर्णयों को लिए भी लंबे समय तक याद रखा जाएगा.

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रोहित शर्मा
रोहित शर्मा

कोलकाता टेस्ट सचिन तेंदुलकर के 199वें टेस्ट की वजह से ही यादगार नहीं रहेगा बल्कि यह अंपायरों द्वारा दिए गए विवादास्पद निर्णयों को लिए भी लंबे समय तक याद रखा जाएगा. टेस्ट के दूसरे दिन मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर इस विवादास्पद निर्णय के शिकार हुए तो तीसरे दिन रोहित शर्मा. रोहित ने टेस्ट के दूसरे दिन जहां अपने पहले ही टेस्ट में शतक लगाकर रिकार्ड बुक में अपना नाम दर्ज कराया, वहीं तीसरे दिन वो दोहरा शतक बनाने के बहुत करीब पहुंच चुके थे तभी अंपायर के गलत फैसले से वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज बनने से चूक गए.

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रोहित शर्मा सिर्फ 23 रनों के अंतर से उन पांच खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं हो सके, जो पदार्पण टेस्ट में दोहरा शतक लगा चुके हैं. इस क्लब में इंग्लैंड के आरई फोस्टर, वेस्टइंडीज के लॉरेंस रो, श्रीलंका के ब्रेंडन कुरुप्पू, न्यूजीलैंड के एमएस सिंक्लेयर और दक्षिण अफ्रीका के जैक्स रुडॉल्फ शामिल हैं.

फोस्टर ने 1903 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 287 रन बनाए थे जबकि रो ने 1972 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 214 रनों की शानदार पारी खेली थी. कुरुप्पू ने 1987 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 201 नाबाद, सिंक्लेयर ने 1999 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 214 और रुडॉल्फ ने 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ 222 नाबाद बनाए थे. रोहित ने हालांकि अपनी इस पारीके दौरान दो रिकार्ड बनाए. उन्होंने रविचंद्रन अश्विन (124) के साथ सातवें विकेट के लिए भारत की ओर से सबसे बड़ी साझेदारी की. इन दोनों ने 280 रन जोड़े.

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इन दोनों ने दिलीप वेंगसरकर और रवि शास्त्री के बीच 1986 में हुई 259 (नॉट आउट) की साझेदारी को पीछे छोड़ दिया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुम्बई में खेले गए उस मैच में वेंगसरकर ने नाबाद 164 रन बनाए थे जबकि शास्त्री 121 रनों पर नाबाद रहे थे. वो भारतीय टेस्ट इतिहास का एकमात्र टाई मैच भी था.

यही नहीं, रोहित ईडन में पर्दापण शतक लगाने वाले तीसरे और कुल 14वें भारतीय हैं. ईडन में इससे पहले दीपक सोधन (1952) और मोहम्मद अजहरुद्दीन (1984) ने पर्दापण करते हुए शतक लगाए थे.

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