सचिन ने संन्यास लिया. वो भी टेस्ट से. यकीन नहीं होता. करें भी कैसे, पहली बार ट्विटर पर पढ़ा. वहां तो कई बार अफवाहें उड़ाई जाती है, और सचिन का आखिरी ट्वीट भी तो 14 अगस्त का है. मतलब सबकुछ ठीक.
अरे रुको... बीसीसीआई ने ट्वीट किया. यानी खबर पक्की. एक पल के लिए पूरी तरह सन्न, पर ब्रेकिंग डालना जरूरी है. कुछ भी नहीं कर पा रहा. जैसे-तैसे ब्रेकिंग वाली दिनचर्या निभाई. फिर आसपास देखकर जानना चाहा कि किसी और को भी मेरे जैसा महसूस हो रहा है. पर माइंड रीडिंग और चेहरा पढ़ना तो आता नहीं, क्या करें. पूरे न्यूजरूम में हल्ला मचा है. ब्रेकिंग...फोनो...बाइट, जैसे शब्द चौतरफा गूंज रहे हैं. यह तो आम दिन पर भी होता है, यानी कुछ नहीं बदला. सबकुछ पहले के जैसा. मेरा दिल मानने को तैयार नहीं. बचपन से सचिन का फैन रहा हूं. इतना बड़ा कि चौक-चौराहे पर दो-तीन लोगों को गालियां भी दी है, सिर्फ इसलिए...राहुल द्रविड़ को सचिन से बेहतर बता दिया.
अरे...मैंने ब्रेकिंग तो दे दी पर इसके पीछे लगे Terms and Conditions पर तो ध्यान ही नहीं दिया. सचिन अभी दो टेस्ट और खेलेंगे, वो भी अपने देश में. फिर अपने दोस्त को किया वो वादा याद आ गया...चाहे जो भी हो जाए मैं सचिन का आखिरी मैच स्टेडियम में ही देखूंगा. यानी 14-18 नवंबर की छुट्टी चाहिए. विंडीज के खिलाफ आखिरी टेस्ट मैच. अनुमान से मुंबई जाना होगा. चलो कुछ करते हैं, शायद बात बन जाए. पर ये क्या जिस दोस्त से वादा किया उसकी ही शादी है 19 नवंबर को और तिलक 17 नवंबर. वहां जाना जरूरी है. क्योंकि वो हमार चड्डी बडी है. सचिन ने डाल दिया फिर धर्मसंकट में. जैसा अकसर होता है. पत्रकार हूं. सचिन के बारे में कुछ लिखते वक्त भावनाएं संभालना जरूरी है. पर क्या करें, ऊंगलियों और दिमाग का मेरे सचिन प्रेम पर काबू कहां, अकसर धर्म संकट में फंस जाता हूं. सीनियर एडिटर सवाल उठाते हैं...तुम कुछ ज्यादा ही बह गए. मन ही मन सोचता हूं कि सचिन के लिए माफ कर दीजिए. कुछ वैसे ही जैसे परीक्षा के दिनों में मैच के लिए पापा गुस्सा होते थे, फिर यह कहकर माफ कर देते...ठीक है सचिन के आउट होने पर चले जाना.
पर अब सचिन क्रिकेट से पूरी तरह से आउट हो जाएंगे. 10 नंबर वाली जर्सी पर अब वो भरोसा नहीं रहेगा. बेहतर है किसी और को मिले ही नहीं. इतने में अगली ब्रेकिंग की पुकार आई. अगला फ्लैश करने की बारी थी. क्योंकि क्रिकेट फैन बाद में पत्रकार पहले.