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वानखेड़े पर सैकड़ा चूकने में भी आगे हैं सचिन

विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर का 200वां और आखिरी टेस्ट मैच खेलने के लिए अपने चहेते दर्शकों के बीच मुंबई वानखेड़े मैदान को चुना है, लेकिन वानखेड़े पर सचिन का रिकॉर्ड उनके शानदार करियर जितना बेहतरीन नहीं रहा है.

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इस टेस्ट के बाद टेस्ट से रिटायर हो रहे हैं सचिन
इस टेस्ट के बाद टेस्ट से रिटायर हो रहे हैं सचिन

विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर का 200वां और आखिरी टेस्ट मैच खेलने के लिए अपने चहेते दर्शकों के बीच मुंबई वानखेड़े मैदान को चुना है, लेकिन वानखेड़े पर सचिन का रिकॉर्ड उनके शानदार करियर जितना बेहतरीन नहीं रहा है.

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सचिन अपने 24 वर्षो के क्रिकेट करियर में शतकों का शतक लगा चुके हैं, लेकिन वह नर्वस नाइंटीज का शिकार अनेक बार हुए हैं, और वानखेड़े पर तो उनके साथ ऐसा सर्वाधिक बार हुआ है.

इन सबके बावजूद मुंबई उनका गृहनगर है, और तेंदुलकर ने शायद अपने विदाई टेस्ट के लिए मुंबई को इसलिए चुना है ताकि उनकी अस्वस्थ मां मैदान में उन्हें आखिरी बार खेलता देख सकें.v मुंबई के वानखेड़े में गुरुवार से शुरू हो रहे टेस्ट मैच में सचिन को न सिर्फ पूरी दुनिया में फैले उनके प्रशंसक बल्कि समकक्ष खिलाड़ियों सहित विपक्षी टीम वेस्टइंडीज के कप्तान डारेन सैमी भी शतक लगाता देखना चाहते हैं, लेकिन सचिन को वानखेड़े पर बहुत सजग रहना पड़ेगा क्योंकि कई बार वह अच्छा स्कोर बनाने बावजूद उसे शतक में नहीं बदल पाए हैं.

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सचिन वानखेड़े पर 60 से 70 के बीच में दो बार, 70 से 80 के बीच में एक बार और 90 रन बना लेने के बावजूद कई बार शतक बनाने से वंचित रह गए हैं.

लेकिन वानखेड़े सचिन के लिए उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि भी लेकर आया है, जब 2011 में इसी मैदान पर सचिन को अपने करियर का पहला विश्वकप उठाने का मौका भी मिला.

वानखेड़े पर सचिन का प्रथम श्रेणी मैचों में तो रिकॉर्ड बहुत शानदार रहा है, जहां उन्होंने सर्वाधिक नाबाद 233 रनों की पारी के साथ रिकॉर्ड 3534 रन बनाए हैं. लेकिन वानखेड़े पर खेले गए कुल 10 टेस्ट मैचों में 47.05 के औसत से सचिन 847 रन ही बना सके हैं, जिसमें उनकी 1996-97 में श्रीलंका के खिलाफ खेली गई 148 रनों की पारी भी शामिल है.

सचिन ने वानखेड़े पर खेली गई अपनी अंतिम चार पारियों में 94, 3, 8, 8 रन बनाए हैं. वानखेड़े पर जब सचिन अंतिम बार नर्वस नाइंटीज का शिकार हुए थे, तब भी विपक्षी टीम वेस्टइंडीज ही थी. रवि रामपॉल की गेंद पर सैमी के कैच लेते ही तब भी वानखेड़े सन्न रह गया था. लेकिन इस बार वानखेड़े उस सन्नाटे को तोड़कर जश्न में डूब जाना चाहता है.

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