सचिन तेंदुलकर की पहचान एक ऐसे क्रिकेटर के तौर पर होती है जो हर पल अपने खेल को बेहतर बनाने के प्रयास में रहता है. कई घंटों तक नेट्स में अभ्यास करना, बल्लेबाजी की बारीकियों को फाइन-ट्यून करना, सचिन इन खास खूबियों के लिए के लिए जाने जाते हैं. शायद इसी वजह से वह क्रिकेट में 24 साल का शानदार करियर बना पाए. लेकिन उनके साथी खिलाड़ी राहुल द्रविड़ ने ऐसा खुलासा किया है जो सचिन की छवि से मेल नहीं खाता. राहुल द्रविड़ का कहना है कि विश्व कप 2003 में सचिन तेंदुलकर नेट पर एक भी गेंद नहीं खेली थी.
आपको बता दें कि इस विश्व कप में सचिन ने रिकॉर्ड 673 रन बनाए थे. इसमें पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन की पारी शामिल है.
द्रविड़ ने कहा, ‘सचिन की तैयारी समय के मुताबिक बदलती रहती है. उसने 2003 विश्व कप में नेट पर एक भी गेंद नहीं खेली. उसने सिर्फ थ्रो डाउंस पर अभ्यास किया.’
]उन्होंने कहा, ‘हम सभी हैरान थे कि वह ऐसा क्यों कर रहा है. मैने जब उससे पूछा तो उसने कहा कि मुझे अच्छा लग रहा है. मैं नेट पर अभ्यास नहीं करना चाहता. मैं अपनी बल्लेबाजी के बारे में अच्छा महसूस करना चाहता हूं. यदि मुझे ऐसा लग रहा है तो मैं रन बनाउंगा और ऐसा ही हुआ.’
तेंदुलकर को अपने समकालीन महानतम क्रिकेटर बताते हुए द्रविड़ ने कहा कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट का परिदृश्य ही बदल दिया.
उन्होंने ईएसपीएन क्रिकइन्फो के ‘माडर्न मास्टर्स’ पर कहा, ‘उसने मैदान के भीतर और बाहर भारतीय क्रिकेट का परिदृश्य बदल दिया. तेंदुलकर के साथ पूरी एक पीढी बड़ी हुई. उन्होंने उसके उतार-चढ़ाव देखे और उसके साथ अपने सपनों को जिया. भारत में कई लोग क्रिकेटर बनने की इच्छा पालने लगे.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले 24 साल से पूरी पीढ़ी को यह दावा करने का सौभाग्य मिला है कि उन्होंने तेंदुलकर को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बनते देखा.’
द्रविड़ ने कहा कि तेंदुलकर ने कल्पना से परे कर दिखाया. उन्होंने कहा, ‘वह लीजैंड है. मैने जितने बल्लेबाजों के साथ खेला, उनमें सर्वश्रेष्ठ. वह प्रेरणास्रोत है. सोलह बरस का लड़का वह कर सकता है, जो उसने किया यह सोचना भी अविश्वसनीय है. उन्होंने कल्पना से परे कर दिखाया और मुझे लगा कि अगर वह यह कह सकता है तो मुझे भी टेस्ट क्रिकेटर बनने की कोशिश करनी चाहिए.’
तेंदुलकर पर स्वार्थी होने के आरोपों पर द्रविड़ ने कहा, ‘यह अनुचित है. हम सभी शतक बनाना चाहते हैं , रन बनाना चाहते हैं और इससे टीम को ही फायदा होता है.’
उन्होंने कहा, ‘जब किसी ने शतकों का शतक लगाया तो आप उसकी हर पारी की समीक्षा करने लगे. आपको अपना पक्ष रखने के लिये कई पारियां मिल जाएंगी लेकिन कई ऐसी भी पारियां हैं जिसमें उनका शतक भारतीय क्रिकेट के लिए काफी अहम रहा.’
द्रविड़ ने कहा कि तेंदुलकर कमजोर गेंदबाजी आक्रमण के कारण भारत को कुछ मौकों पर टेस्ट में जीत नहीं दिला सके. उन्होंने यह भी कहा कि तेंदुलकर की सबसे बड़ी ताकत उनका रवैया है.