क्या आएगा कोई अगला तेंदुलकर, सलाम सचिन में हुई इस पर बात, पैनल में थे पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर, किरन मोरे और बिशन सिंह बेदी. इनसे बाद की विक्रांत गुप्ता ने. आइए जानें क्या बोले वह-
दिलीप: मुझे नहीं लगता कि अगला सचिन मुमकिन है. कौन होगा, जो 15-16 साल में खेलना शुरू कर दे और इतने लंबे वक्त तक फिटनेस और फॉर्म बनाए रखे. मुझे याद है कि अस्सी के दशक में स्कूली क्रिकेट में सचिन की धूम मचने लगी थी. तब मेरे दोस्त वासू ने बताया कि दिलीप इस लड़के को जरूर देखो. इंटर स्कूल का फाइनल था अंजुमन इस्लाम के खिलाफ. सचिन इस मौच को खेल रहे थे.वासू के कहने पर मैं गया. सचिन ने तीन सौ रन बनाए. मैं उसके बारे में पूछा.पता चला कि अभी ये कम से कम चालीस ओवर भी फेंकेगा. ऐसा ही था आचरेकर सर का ये लड़का. बैटिंग करता रहेगा. उसे बॉलिंग भी चाहिए.
फिर मैंने उसे नेट्स पर बुलाया. चेतन शर्मा, मनिंदर वगैरह को बॉलिंग के लिए कहा. ये थोड़ा जटिल था. मगर उसने अच्छे से खेला. फिर उसे हम शाम को चाय पर ले गए. बात हो रही थी बाकी सीनियर लोगों से, कि इसे मुंबई की रणजी टीम में लिया जाना चाहिए कि नहीं. सब कह रहे थे कि ये बहुत छोटा है. मगर फिर इसे लिया.फिर इसने रणजी से लेकर हर लेवल पर शानदार खेला. तभी वासू ने राज सिंह डूंगरपुर साहब से कहा. वेस्टइंडीज दौरे के पहले की बात है, वासू बोला, राज भाई इसको ले लो आप टीम में. राज बोले पागल हो गए हो क्या. वहां क्या क्या फास्ट बोलर हैं. ये मार्च 1989 की बात है. इसके छह महीने बाद उनका पदार्पण हुआ.
बिशन सिंह बेदी: हमें क्यों चाहिए दूसरा सचिन तेंदुलकर. ये तो बहुत लालच है. वो भारत रत्न है हमारा. हमें फख्र है उसके होने पर. अगला सचिन कब आएगा, कैसे आएगा. इस पर इतना व्याकुल होने की जरूरत नहीं है. इंशाअल्लाह जरूर आएगा. जीनियस एक क्षण में पैदा नहीं होते. श्रेय उनकी मां को जाता है.
किरण मोरे: सचिन तेंदुलकर ने ड्रेसिंग रूम में 24 साल निकाले. मैं काफी प्लेयर्स देख रहा हूं, जो उन्हें कॉपी कर रहे हैं, विराट कोहली हैं, रोहित शर्मा हैं.कहीं भी आप किसी भी एकेडमी में चले जाओ. हर कोई वही करना चाहता है. थोड़ा बहुत जो सीखते हैं. खासतौर पर इंडियन टीम में. रोहित, विराट और युवराज भी. इन्होंने करीब से देखकर सचिन को, बहुत सीखा है.नए किड्स आते हैं, देखते रहते हैं, सचिन क्या कर रहा है.आप विराट और रोहित को देखो. विराट सचिन के शतकों के रेकॉर्ड को तोड़ सकता है. क्वालिटी है उसमें. उसने सचिन से बहुत कुछ सीखा है.
सचिन जब पाकिस्तान गया था 15 साल का था, हमारे साथ टीम में जब आया.ये एक बजे आ जाता था मेरे पास और घंटों खेलता रहता. बोलता, किरण मेरा बल्ला ठीक से नहीं आ रहा.
सचिन प्रेरणा के लिए गावस्कर को देखते थे. उनका चलना. सनी भाई की तरह पैड पहनना. वो पूरी पीढ़ी ऐसी ही थी. हम लोग भी सनी भाई को कॉपी करते थे.सचिन उनका बिग फैन था, आज भी है.
एक फेज आया और लोगों ने कहा एंडुलकर, उस फेज में क्या बात होती थी
दिलीपः सबको पता था कि एक बुरा फेज था. लोगों को लगता था कि वह जाए और सेंचुरी बनाए हर बार. वह रन बना भी रहे थे. मगर उतने नहीं, जितने की आदत थी. बस एक बड़ी इनिंग की जरूरत थी. वो हुआ और सब चुप हो गए.
रही मेरे उससे बात करने की बात, तो वह हर बात पर कहता था कि मैं अजीत दादा (सचिन के बड़े भाई)से डिस्कस कर बताता हूं. बहुत मानता है अपने भाई को.
संजय मांजरेकर ने मुझे बताया. हर सुबह अजीत फोन करता था. संजय ने बताया कि वह बोलता रहता था और सचिन बस हां हां करता रहता था.फिर सो जाता था. अजीत ने सचिन के लिए पूरी जिंदगी लगा दी. आज भी सचिन बैटिंग करने जाता है, तो अजीत टेंस हो जाता है. सचिन के हर फैसले में अजीत का बड़ा रोल है.
बिशन सिंह बेदी: सचिन ने जो किया अपने प्यार के लिए किया, क्रिकेट के लिए. मैं आपको एक किस्सा बताता हूं. उस टूर पर ये महारथी भी थे. विकेट बहुत खराब था प्रैक्टिस के लिए. ये सीनियर प्लेयर कामचोरी के बहुत शौकीन थे. मैंने कहा कि प्रैक्टिस नहीं करेंगे, तो ट्रेनिंग करेंगे. ऑप्शनल सेशन रखा, जिसको बैटिंग करनी है करो. एक लड़का आया. बोला, मैं करूंगा सर. हमने कहा, चलो चोट लगने का डर है तो स्पिन करेंगे. उसने क्या किया कि सेंटर में विकेट खराब थी. तो नेट के किनारे साफ जमीन थी. उसने स्टंप गाड़े और 45 मिनट खेलता रहा. वो सचिन तेंदुलकर था. बहुत प्यारा बच्चा था. मर्यादा पुरुषोत्तम टाइप का. ये वाकया मैं कभी नहीं भूलूंगा.
किरण मोरे: पाकिस्तान दौरे पर सचिन भाई के साथ आए थे, किताबें भी थीं. मगर न्यूजीलैंड वह अकेले आए थे. उन्होंने नेपियर में मेरे साथ पार्टनरशिप की. 85 रन पर वह आउट हो गए, तो बहुत रोए.मगर ये अनुभव आगे बहुत काम आया.
बेदी: विराट और रोहित में सचिन के साथ का असर दिख रहा था. सचिन का वर्क एथिक्स क्रिकेट छोड़ने के बाद भी बदलने वाला नहीं है. वो एक जुनून लेकर पैदा हुआ है.
मोरे: इमरान खान बोलता था सचिन के लिए गिड्डू को आउट करो. वह बार बार बोलता, इसको आउट करो, बाकी मैं काम कर दूंगा. उसके पहले हम हारते थे. मगर सचिन के आने के बाद सब बदल गया. आप 92 वर्ल्ड कप देखो. उसने पाकिस्तान के खिलाफ जो फिफ्टी मारी. शारजाह में भी सचिन के बाद हमने जीतना शुरू किया. उसने अब्दुल कादिर की जो हालत खराब की.
हम शॉपिंग करने गए थे. पेशावरी जूती खरीदने, मैं शास्त्री, लांबा गए थे. तभी स्टेडियम से आवाज आने लगी तेज. अब्दूल कादिर को हर जगह मारा जा रहा था. स्लॉगिंग थी, लेकिन क्लीन थी. काफी लोग आते हैं, मारते हैं, कुछ लग जाते हैं. मगर सचिन के शॉट क्रिकेटिंग थे. समझ आ गया कि ये कुछ अलग है. उसके बाद से इमरान खान बहुत डरने लगा था सचिन से.
वो हर चीज में इन्वॉल्व रहता था. बॉलिंग करे, फील्डिंग करे.
बेदी: लक्ष्मण, द्रविड़, कुंबले के आने से सचिन को मदद मिली और खुलकर खेलने में.
कप्तानी के मसले पर
दिलीप: उसे टीम अच्छी नहीं मिली. उसने कुछ प्लेयर मांगे, नहीं दिए गए. वह खुश नहीं था इस बारे में. सेलेक्टर उसके खिलाफ अड़ने लगे थे. उन्हें लगता था कि अगर सचिन मांग रहा है, तो नहीं देना हो, वो गलत था.
बेदी: सचिन का टेंपरामेंट अलग था. वह शर्मीला था. शायद इसीलिए उसे कैप्टेंसी में इतना मजा नहीं आया. मुझे लगता है कि उसकी मिडल क्लास बैकग्राउंड बैटिंग के लिए अच्छी थी, मगर कैप्टन के लिहाज से ये कुछ कमजोरी भी लाई. हम पढ़ते रहते हैं कि उसने इस बॉलर उस बैट्समैन की हेल्प की. मगर ये सजेशन के फॉर्म में थी. अथॉरिटी के नहीं. आप देखिए, दुनिया के सबसे महान ऑलराउंडर सर सोबर्स अच्छे कप्तान साबित नहीं हुए.
मोरे: सचिन का खेल का लेवल बहुत ऊंचा था. वह बाकी प्लेयर्स से भी वही उम्मीद करता था. उसे लगता था कि मैं कर सकता हूं, तो वे क्यों नहीं कर सकते. वह अनजाने में उन्हें लगातार पुश कर रहा था. उससे ये हालत हुई.जब मैं सेलेक्टर बना, तो उससे बात हुई. इतने इंटरेस्टिंग इनपुट मिलते थे मुझे, जो काफी हेल्प करते रहे.
बेदी: ये सचिन सिंह तेंदुलकर है. सब टीम में उसे सचिन पाजी बोलते हैं. आपने किसी महाराष्ट्रियन के लिए ऐसा सुना है?
मोरे: इसीलिए तो इमरान बोलता था. गिड्डू को आउट करो. मैंने देखा है, ड्रैसिंग रूम में सचिन पाजी का प्रभाव रहता था. धोनी ने बताया मुझे. किरण मेरी सचिन से एक सेकंड के लिए भी नजर नहीं हटती थी. धोनी ने सचिन और द्रविड़ से बहुत कुछ सीखा.
बेदी: सचिन खुदा का पैगंबर है. वह खुदा का पैगाम लाया है कि कैसे खेलना चाहिए. आपने उसे कोई शोहदी हरकत करते नहीं देखा होगा. शर्ट उतार ली, नाचने लग गए विकेट लेकर, विकेट लेकर हैरान परेशान हो गए. अरे ये कैसे हो गया. ये सब उसने नहीं किया कभी.
सचिन तेंदुलकर 24 साल से किरण मोरी की बडोदरा फैक्टरी में बना हेलमेट पहन रहे हैं.
किरण मोरे: हां क्रिकेट से जुड़ा कुछ बनाना था. हमारे हेलमेट में वह सेफ रहे. हमें लगता था कि कुछ हो गया. तो हमें फैक्ट्री बंद करनी पड़ेगी.