एक जूनियर महिला धावक को अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. स्पॉर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) द्वारा करवाए गए टेस्ट में उसे महिलाओं की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने के अयोग्य ठहराया गया है.
यह खबर अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने दी है. दरअसल, 2014 में ग्लासगो में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से पहले SAI ने इस जूनियर महिला धावक का जेंडर टेस्ट करवाया. यह प्रतिभाशाली युवा महिला धावक 100 और 200 मीटर की दौड़ की स्पेशलिस्ट है. इस साल वह एकमात्र ऐसी एथलीट है, जिनका जेंडर टेस्ट कराया गया. इस साल राष्ट्रमंडल खेलों के साथ एशियन गेम्स का भी आयोजन होना है.
एसएआई के डायरेक्टर जनरल जीजी थॉमसन के मुताबिक, कुछ सवाल उठने के बाद प्राधिकरण के मेडिकल अधिकारियों ने यह टेस्ट बेंगलुरु में किया. कुछ महीने पहले ही इस धावक के सेक्स को लेकर संदेह जताया गया था. इसके बाद जेंडर टेस्ट कराने का आदेश दिया गया. सेक्स टेस्ट इसलिए करवाया गया, ताकि एथलीट के लिंग के बारे स्पष्ट जानकारी मिल सके.
इस तरह जूनियर महिला एथलीट अब कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले सकेगी. इस महिला धावक को यूजीन में होने वाले वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप्स में भी हिस्सा लेना था, जिसका आयोजन 22 से 27 जुलाई के बीच होगा. अब तक यह महिला धावक नेशनल कैंप का हिस्सा है.
स्पॉर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया इस बार 2006 में दोहा खेलों में हुई फजीहत से बचना चाहता है, जब 800 मीटर की धावक शांति सौंदराजन इसी तरह के टेस्ट में फेल हो गई थीं.