बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के नाम वापस लेने से ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में भारत की उम्मीदों को झटका लगा है. भारत को अकेले बैडमिंटन मुकाबलों में ही पांच पदकों की उम्मीद थी, लेकिन सायना ने उन उम्मीदों को करारा झटका दिया है.
गौरतलब है कि भारत की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने पिछले ही महीने ऑस्ट्रेलियाई ओपन सुपर सीरीज का खिताब अपने नाम किया था. सुपर सीरीज के दौरान साइना के पैरों में छाले पड़ गए थे और वे अब तक इनसे उबर नहीं पायी हैं. इसी कारण सायना ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स से हटने का फैसला किया है.
इससे निराश सायना ने 23 जुलाई से शुरू होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले कहा, यह बहुत मुश्किल फैसला है लेकिन यह अहम भी है. उन्होंने कहा, ऑस्ट्रेलिया में पहले राउंड के दौरान मुझे ग्रोइन चोट लग गई थी और फिर मेरे पैर में ये छाले हो गए, लेकिन फिर भी मैंने खिताब जीता. जब मैंने वापसी की तो मेरे पास ढाई हफ्ते थे, लेकिन मैंने उबरने के लिए एक हफ्ते का समय लिया तो मुझे ट्रेनिंग के लिए मुश्किल से एक हफ्ता मिला. इसलिए मैंने हटने का फैसला किया है. यह मेरे लिए भी निराशाजनक है.
माना जा रहा है कि यह ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विजेता सायना घुटने की चोट से भी जूझ रही है. उन्होंने कहा कि बचे हुए सत्र के लिए फिट होने के लिए मुझे ग्लास्गो खेलों से हटने का फैसला लेना पड़ा, क्योंकि इस सत्र में महत्वपूर्ण टूर्नामेंट जैसे वर्ल्ड चैम्पियनशिप और एशियाई खेल शामिल हैं.
सायना ने कहा, मैंने अभ्यास शुरू कर दिया था और मुझे उम्मीद है कि मैं अब भी जाकर खेल सकती हूं, लेकिन मैं खुद पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहती थी. मैं दोबारा चोटिल होने का जोखिम नहीं लेना चाहती. मुझे बचे हुए पूरे सीजन के लिए फिट होना होगा. आगे दो और महत्वपूर्ण और इतने ही बड़े टूर्नामेंट आ रहे हैं- वर्ल्ड चैम्पियनशिप और एशियाई खेल, इसलिए मुझे फैसला करना पड़ा.
उन्होंने कहा, इन बड़े टूर्नामेंट में खेलने से पहले यह जानना कि आप शत प्रतिशत फिट हो, काफी अहम है. विशेषकर जब मैं अच्छा खेल रही हूं और मैंने एक टूर्नामेंट जीता है तो इससे भारत के लिए पदक जीतने के लिए मेरा मौका बढ़ जाएगा. मौजूदा समय में दुनिया की सातवें नंबर की खिलाड़ी सायना ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान रोमांचक फाइनल में मलेशिया की वोंग म्यू चू को हरा कर गोल्ड मेडल हासिल किया था.
इस 24 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, मैं जानती हूं कि कॉमनवेल्थ गेम्स में मैं प्रबल दावेदार हूं. मैं गत चैम्पियन हूं, लेकिन मुझे फिर भी खेलकर खिताब जीतने के लिए अपना शत प्रतिशत देना होगा. खेलों में यह मुश्किल होता है.
भारत ने दिल्ली में पिछले टूर्नामेंट में चार पदक जीते थे. सायना के महिला एकल में गोल्ड मेडल के अलावा ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने महिला युगल स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल किया था. पारूपल्ली कश्यप ने पुरूष एकल में कांस्य पदक जीता था, जबकि मेजबान टीम को टीम स्पर्धा में सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा था.
सायना का कॉमनवेल्थ गेम्स से हटना भारत के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि बैडमिंटन खिलाड़ी इस बार कम से कम पांच पदक जीतने की उम्मीद लगाए हुए थे, जिसमें पीवी सिंधु के पास महिला एकल और के. श्रीकांत के पास पुरूष एकल में पोडियम स्थान हासिल करने का अच्छा मौका है.