एक ओर लॉन टेनिस में सानिया मिर्जा ने विम्बलडन महिला युगल खिताब जीतने के बाद इसे उन भारतीय महिलाओं को समर्पित किया जो आगे बढ़ कर किसी भी क्षेत्र में अच्छा कर रही हैं तो वहीं बैडमिंटन स्टार सानया नेहवाल का मानना है कि खेलों के क्षेत्र में महिलाओं को करियर बनाने के लिए बढ़ावा नहीं मिलता है.
बीते समय में सानिया मिर्जा, दीपिका पल्लीकल (स्क्वॉश), सायना नेहवाल, ज्वाला गुट्टा व अश्विनी पोनप्पा (सभी बैडमिंटन) ने अपनी शानदार उपलब्धियों के जरिए खेलों के क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है. विश्व की दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी सायना हालांकि स्वीकार करती हैं कि वैश्विक स्तर पर भारतीय महिलाओं की सफलता के बावजूद देश में लड़कियों को खेलों के क्षेत्र में जाने देने को लेकर उत्साह में कमी है.
एक कार्यक्रम के दौरान सायना ने कहा, ‘बदलाव आ रहा है और लड़कियों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन खेलों के मामले में लड़कियों को अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना है क्योंकि उन्हें इस क्षेत्र में आगे आने के लिए खुलकर बढ़ावा नहीं मिलता.’
सायना मानती हैं कि महिलाओं की शिक्षा को लेकर समाज के हर वर्ग में जागरूकता आई है लेकिन जहां तक खेलों की बात है तो पेशेवर स्तर पर लड़कियों को आगे लाने को लेकर उत्साह में कमी है. सायना ने कहा, ‘इसका एक सबसे बड़ा कारण यह है कि खेल लड़कियों के लिए पेशा नहीं हो सकता और पढ़ाई के दौरान खेलों के साथ आगे बढ़ने से पढ़ाई पर प्रभाव पड़ता है. मेरा अनुभव है कि मैं अपने जीवन में कई ऐसी लड़कियों से मिली हूं, जो खेल और पढ़ाई में बराबर इच्छुक रही हैं लेकिन उचित मार्गदर्शन के बिना वे खासकर खेलों के क्षेत्र मे कुछ नहीं कर पातीं.’
सायना कहती हैं, ‘दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में खासकर लोगों की सोच लड़कियों को पेशेवर बनाने की ओर बढ़ी है लेकिन उन्हें खिलाड़ी (पेशेवर) बनाने को लेकर सोच में बदलाव नहीं आया है. ऐसे शहरों में हालांकि लड़कियों को अधिक मौके भी नहीं मिलते. हमें खेलों के क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की जरूरत है, जो देश का नाम रोशन कर सकें.’
सायना मानती हैं कि उनके असल जीवन की कहानी निश्चित तौर पर लाखों लड़कियों को खेलों के क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित करेगी. सायना ने कहा, ‘मैं मानती हूं कि मेरी कहानी से लोग इतनी सीख जरूर लेंगे कि अपनी लड़कियों को वे पारंपरिक पेशे से अलग हटकर नया पेशा अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे.’
इनपुटः IANS