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साइना की नजरें स्वर्ण व भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर

साइना नेहवाल के दम पर महिला एकल में अपना पहला स्वर्ण जीतने जीतने का मजबूत दावा पेश कर रहे भारत की चुनौती राष्ट्रमंडल खेलों में काफी मजबूत नजर आती है.

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दुनिया की नंबर तीन खिलाड़ी साइना नेहवाल के दम पर महिला एकल में अपना पहला स्वर्ण जीतने जीतने का मजबूत दावा पेश कर रहे भारत की चुनौती तीन से 14 अक्तूबर तक होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में काफी मजबूत नजर आती है और मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद भी कम से कम तीन स्पर्धाओं में पदक जीतने का भरोसा है.

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साइना हाल में इंडियन ओपन, सिंगापुर सुपर सीरीज और इंडोनेशिया सुपर सीरीज का खिताब जीतकर दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी बनी जबकि पेरिस में वह विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में भी पहुंची. भारत में पहली बार हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों के महिला एकल में भी उनकी चुनौती मजबूत नजर आ रही है और उन्हें इस स्पर्धा में शीर्ष वरीयता मिलना तय है.

चीन, इंडोनेशिया, कोरिया और जापान जैसे देशों के इस टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेने से भारत के सबसे प्रबल प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड और मलेशिया होंगे. भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1998 में किया था जब उसने एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य सहित चार पदक जीते थे. साइना ने भी कह दिया है कि अब उनका ध्यान केवल राष्ट्रमंडल खेलों पर है. हैदराबाद के गाचीबाउली स्टेडियम में पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग कर रही इस शीर्ष भारतीय खिलाड़ी ने कहा, ‘मेरा लक्ष्य राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए पदक जीतना है.’ {mospagebreak}

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उन्होंने कहा, ‘मेरे पास अभी (राष्ट्रमंडल खेलों के लिए) चार सप्ताह का समय और है. इस बार मैं और कड़ी मेहनत कर रही हूं क्योंकि यह खेल पहली बार भारत में हो रहे हैं. यह बड़ा टूर्नामेंट है. मेरा ध्यान मेरे खेल पर है और मुझे पदक जीतना है. देखते हैं कि क्या होता है.’ ज्वाला गुट्टा और वी दीजू की मिश्रित युगल जोड़ी भारत की ओर से पदक के दावेदारों में शुमार है जबकि पुरुष एकल में चेतन आनंद का दावा भी मजबूत है.

चेतन ने हाल में घुटने की चोट के बाद वापसी की है लेकिन वह अभी अपनी सर्वश्रेष्ठ लय हासिल नहीं कर पाये हैं. पुरुष एकल में पी कश्यप ने हाल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन उनके लिए पदक की राह आसान नहीं होगी. इसके अलावा महिला युगल में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा जबकि पुरुष युगल में सनावे थामस और रुपेश कुमार की जोड़ी भी उलटफेर करने में सक्षम हैं.

कोच गोपीचंद को भी महिला एकल, महिला युगल और मिश्रित युगल में पदक की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रमंडल खेलों की हमारी टीम काफी मजबूत है. महिला एकल, मिश्रित युगल और महिला युगल हमारे मजबूत पक्ष हैं लेकिन हमें इंग्लैंड और मलेशिया से कड़ी टक्कर मिल सकती है.’ उन्होंने कहा, ‘पुरुष एकल में चेतन से फिलहाल पदक की उम्मीद नहीं की जा सकती. वह हाल ही में चोट से उबरा है और वापसी की कोशिश कर रहा है. {mospagebreak}

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महिला एकल में साइना का दावा काफी मजबूत है जबकि ज्वाला और दीजू तथा ज्वाला और अश्विनी की जोड़ी से भी पदक की उम्मीद है.’ भारत ने अब तक राष्ट्रमंडल खेलों की बैडमिंटन स्पर्धा में 11 पदक जीते हैं जिसमें पुरुष एकल के दो स्वर्ण पदक शामिल हैं. भारत के लिए पुरुष एकल में प्रकाश पादुकोण ने 1978 जबकि सैय्यद मोदी ने 1982 में स्वर्ण पदक जीता था. महिला वर्ग में भारत की ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अपर्णा पोपट के नाम है जिन्होंने 1998 में महिला एकल में रजत जबकि 2002 में कांस्य पदक जीता.

मेलबर्न में 2006 में हुए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में हालांकि भारत का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रही और भारत केवल दो कांस्य पदक ही जीत पाया. चेतन आंनद ने पुरुष एकल जबकि भारत ने टीम स्पर्धा में कांस्य जीता. मेलबर्न खेलों से दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों तक भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन में काफी सुधार आया है और हर वर्ग में उसके खिलाड़ी शीर्ष 20 में मौजूद हैं. {mospagebreak}

मेलबर्न में महिला एकल में तीसरे दौर में पहुंची साइना अब दुनिया की तीसरे नंबर की खिलाड़ी हैं जबकि शीर्ष दस में उनके अलावा राष्ट्रमंडल देशों की कोई महिला शामिल नहीं है. भारतीय खिलाड़ियों को हालांकि इंग्लैंड और मलेशिया के खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती मिलेगी जिनका अब तक राष्ट्रमंडल खेलों में दबदबा रहा है. इंग्लैंड ने राष्ट्रमंडल खेलों में अब तक 93 जबकि मलेशिया ने 51 पदक जीते हैं.

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मलेशिया ने अब तक राष्ट्रमंडल खेलों के लिए टीम घोषित नहीं की है लेकिन इंग्लैंड ने अपनी टीम में दुनिया के 16वें नंबर के पुरुष खिलाड़ी राजीव ओसेफ और एंथनी क्लार्क और नाथन राबर्टसन की 13वें नंबर की जोड़ी को शामिल किया है. इस टीम में जेनी वेलवर्क को भी जगह मिली है जो मिश्रित युगल में राबर्टसन के साथ दुनिया की 12वें नंबर की जोड़ी बनाती है.

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