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दूसरा मेडल जीतने के बाद मैंने सचिन भाई साहब से फोन पर बात की: सुशील कुमार

ये दो सितारे क्रिकेट से सीधे तौर पर तो जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन खेल जगत के बड़े नाम हैं. पहलवान सुशील कुमार और टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने सचिन तेंदुलकर को लेकर अपनी सोच शेयर की.

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सानिया मिर्जा, सुशील कुमार
सानिया मिर्जा, सुशील कुमार

ये दो सितारे क्रिकेट से सीधे तौर पर तो जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन खेल जगत के बड़े नाम हैं. पहलवान सुशील कुमार और टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने सचिन तेंदुलकर को लेकर अपनी सोच शेयर की.

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सुशील आपने सेकंड ओलंपिक मेडल जीतने के बाद कहा था मेरी सचिन से बात कराइए. आपकी पांच मिनट बात हुई. वह ड्राइव कर रहे थे उस वक्त. बातचीत में मुझे बस इतना याद आया कि सुशील बोले, हां जी भाई साहब, थैंक्यू भाई साहब...
सुशील: मेरे लिए दोहरी खुशी थी. डबल ओलंपिक मेडल और सचिन से बातचीत. सचिन वाला सपना भी पूरा हो गया. जिसको इतना मानते हैं और उससे बात हो जाए. सचिन जी का फोन आया, बधाई दी और आशीर्वाद आया. 2008 के बीजिंग ओलंपिक के बाद मिला था. मैंने पैर छुए उनके. उन्होंने कहा, आप देश के लिए खेलते हैं और बहुत अच्छा काम किया. मैं बहुत खुश था मिलकर उनसे.

सानिया आपने जूनियर विंबलडन जीता और सचिन ने आपको कार भेजी. बताइए उस किस्से के बारे में.
सानिया: मैं 16 साल की होने वाली थी. जूनियर विंबलडन जीतकर लौटी थी. बहुत सपोर्ट मिल रहा था. एक दिन एक दोस्त का फोन आया. उन्होंने बताया कि सचिन तेंदुलकर आपको फिएट पैलियो गिफ्ट करना चाहते हैं. उन्होंने सिग्नेचर कर कार भेजी. वो मुझे जानते भी नहीं थे. उन्होंने मुझे कॉल कर बधाई दी. वो मेरी बेस्ट सचिन मेमरी है. ये शानदार है कि किसी 15-16 साल के प्लेयर का आप इस तरह से उत्साह बढ़ाएं.

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स्पोर्ट्सपर्सन की इतनी मीडिया स्क्रूटनी होती है, लोगों की तरफ से परफॉर्म करने का प्रेशर रहता है, कैसे हैंडल करते हैं आप लोग?
सानिया: हमें इसकी आदत पड़ जाती है करियर की शुरुआत से. मगर लोग वाकई बहुत उतावलेपन के साथ रिएक्ट करते हैं. कई बरस पहले की बात है. सचिन का फॉर्म खराब चल रहा था. एक अखबार की हेडिंग थी एंडुलकर. अगले मैच में सचिन ने सेंचुरी मारी. यही करते रहे हैं वो 24 साल से. जब उन्हें चुका हुआ घोषित किया, उन्होंने पलटवार किया.

सुशील आप और सचिन प्रैक्टिस और ट्रेनिंग में बहुत यकीन करते हैं. कितना जरूरी है प्रिपरेशन.
सुशील: सचिन जी के जो भी फॉलोअर हैं, जो उन्हें पसंद करते हैं, वो एक सीख लेते हैं. चाहे वह ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले हों या आम आदमी. एक बच्चा, उसका पिता, उसके दादा, सब उसे पसंद करते हैं. 24 साल उन्होंने देश को दिए. मैं तो उनसे सीखता ही हूं. बाकी भी सीखते हैं.

सुशील आप और सचिन फूडी भी बहुत बड़े हो. मुझे याद है कि आपका ओलंपिक मेडल जीतने के बाद मैंने आपका इंटरव्यू किया. देर हो गई, तो खाना नहीं मिला. घर लौटकर आपने आलू परांठे खाए. कैसे मैनेज करते हैं फिटनेस की चिंता और अच्छे से खाना.
सुशील: चार महीने टूर्नामेंट के पहले आप खाते नहीं हो. वेट कैटेगरी रहती है. तो टूर्नामेंट के बाद लगता है कि यार अब कुछ दिन जमकर खा लो, नहीं तो फिर नया टारगेट मिल जाएगा.

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सवाल- टॉप एथलीट्स की प्राइवेट लाइफ पर भी बहुत निगाह रहती है. सचिन के मामले में ऐसा नहीं रहा, क्या ये प्रेरणा देता है.
सानिया: इसकी बहुत वजहें हैं. यह जबरदस्त है अगर आप कर पाएं. मगर यहां सेलिब्रिटी होना और वह भी वुमन सेलिब्रिटी बहुत मुश्किल है. मुझे लगता है कि बहुत सारे एथलीट्स के करियर ऐसे ही चलें. जैसा आपने कहा, कई बार मुझे गेम के अलावा दूसरी वजहों से खबरों में घसीटा गया. ऐसे में ये दुआ और अहम हो जाती है. उनके लंबे करियर की भी ये एक वजह है कि उनके ऊपर स्टारडम का असर नहीं पड़ा.

सवाल: मीडिया उनके पीछे क्यों नहीं पड़ा. निजी जीवन में तांक झांक नहीं की... जवाब: सचिन की फैमिली साथ थी. वाइफ थीं. वह अपनी निजता का खास ख्याल रखते थे. इसके अलावा आसपास क्या हो रहा है, उससे अप्रभावित रहकर वह परफॉर्म करते रहे. पिछले दस सालों से उनका कद कुछ ऐसा हो गया. कि आप खुद ब खुद उनका, उनके एटीट्यूड का, उनकी उपलब्धियों का सम्मान करने लगते हैं. सवाल: सुशील, आप लोग रिलैक्स नहीं कर पाते. कहीं नाइट क्लब चले गए तो मीडिया में बवाल हो जाता है. मगर सचिन कहीं जाते हैं, तो सब बहुत ग्रेस के साथ रिएक्ट करते हैं.क्या है इसकी वजह और क्या संदेश निकलता है इससे..
जवाब: सब जो भी हैं. सचिन को बहुत फॉलो करते हैं. अखाड़े में बच्चे उनका मैच देखते हैं. उनको लगता है कि हम भी सचिन की तरह पहचाने जाएं. सब उन्हीं की तरह अच्छा बनना चाहते हैं.

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सवाल: हमारे ओलंपिक असोसिएशन बैन हैं. सचिन राज्यसभा मेंबर हैं. आपकी सचिन राजनीतिज्ञ से क्या उम्मीद है...
सुशील: उनको खेल मंत्री बन जाना चाहिए. जभी अच्छा हो सकता है. क्योंकि वो सिर्फ मेरे से नहीं. और भी जो स्पोर्ट्स मैन हैं, बॉक्सर है, शूटर है. वो सबको इक्वल लेकर चलते हैं. अच्छी बात बताते हैं. ऐसा ही लोग हमें चाहिए. वो समझ सकते हैं. जो भी सपोर्ट हमको चाहिए. उन्होंने 24 साल देश को दिए.

सानिया: स्पोर्ट्स मिनिस्टर का तो नहीं पता, मगर हम सभी को एडमिनिस्ट्रेशन में, गेम मैनेजमेंट में शामिल होना ही होगा.सचिन को अभी मेरे ख्याल से एक साल का ब्रेक लेना चाहिए. रिलैक्स करना चाहिए. मैं भी गेम छोड़ने के बाद यही करूंगी.

सवाल: सुशील ये जो लाहली वाला रणजी मैच था. जरा इसके बारे में बताएं हर कोई इसके बारे में बात कर रहा था.
सुशील: रोहतक को लाहली के उस मैच की वजह से जाना जाने लगा. अब जैसे सचिन के लिए मैं बोल रहा हूं कि उन्हें खेल मंत्री होना चाहिए. उन्हें पता है कि क्या मेहनत लगती है. हमारे यहां हरियाणा में सीएम हुड्डा जी बहुत सम्मान देते हैं. सभी खिलाड़ियों को वह एकेडमी खोलने का प्रस्ताव दे रहे हैं. इसी तरह सचिन जी हैं. सबको सपोर्ट करते हैं.

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बचपन से सपना था. कि मैं सचिन जी से मिलूं. सहारा का प्रोग्राम था बॉम्बे में. मैं उनसे मिला, पैर छुए. बहुत खुश था. घर में मम्मी पापा को बताया. मैं आज यहां आया हूं. मैंने बताया कि मैं सचिन जी पर प्रोग्राम हो रहा है, तो मैं जा रहा हूं, सभी बहुत खुश थे. वो सब लोग बोलते हैं कि सचिन जी को खेल मंत्री बनना चाहिए.

सवाल: पहले हर कोई सचिन के संन्यास की बात कर रहा था. अब हर कोई कह रहा है कि क्यों जा रहे हैं. क्यों होता है ऐसा.
सानिया: मीडिया को ऐसे नहा धोकर पीछे नहीं पड़ना चाहिए. जब किसी का फॉर्म खराब है या कोई मैच हारा है, तो उसे पता है, उसे आपकी पड़ताल की जरूरत नहीं है. मगर ऐसा हो नहीं पाता. मगर अब 500 चैनल हैं, उन्हें पूरे दिन चलना है तो कुछ न कुछ कहना होगा. जरूरत संतुलन की है.

सवाल: सुशील आप कैसे इस प्रेशर को हैंडल करते हैं.
जवाब: मुझे दूसरे ओलंपिक में कैप्टन बना दिया. पूरी सेरेमनी हुई. बाहर आया. मीडिया में एक बोला. तूने झंडा क्यों पकड़ा. मैंने कहा, मेरे लिए तो ये बहुत गर्व की बात है. वो बोले, यार जिसने भी झंडा पकड़ा, वो मेडल नहीं ला पाया. मैंने कहा, यार ये तो कमाल हो गया. मुझे लगता है कि तैयारी से मेडल मिलते हैं. इस तरह के विश्वास का क्या मतलब है. अहम तो आपकी प्रैक्टिस और यकीन है न.

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सवाल: आप लोग कितने अंधविश्वास हैं...
सानिया: मैं लाइन पर स्टेप अप नहीं करती. बचती हूं. हां, हम सब किसी न किसी तरह से अंधविश्वासी होते हैं. राफेल नडाल बोतल को खास ढंग से रखते हैं. सचिन किसी को हिलने नहीं देते.ज्यादातर होते हैं, मगर अपने ढंग से.

सुशील: नहीं ऐसा कुछ नहीं. आप मेहनत नहीं करोगे, तो चाहे कुछ कर लो. नहीं जीत पाओगे. मेहनत तो करनी ही पड़ेगी. शॉर्टकट नहीं है.

बोरिया मजूमदार ने सुनाया सचिन का एक और किस्सा. मेहनत के बारे में. ये उन्हें सचिन की पत्नी अंजलि से सुनाया था.

एक दिन सचिन ने अंजलि से पूछा. रिटायरमेंट के बाद मैं क्या करूंगा. क्या मुझे प्रैक्टिस करते रहनी चाहिए. ट्रेन करते रहना चाहिए. अंजलि ने सचिन की आंख में देखा. उन्हें झटका सा लगा. कैसा जोखिम भरा खयाल है. अंजली ने कहा, बिल्कुल तुम्हारी ट्रेनिंग बदस्तूर जारी रहनी चाहिए.

कॉन्फ्रेंस ऑडियंस ने पूछा सवाल
सवाल सुशील से: आपने सेहवाग को देखा. सचिन के लिए आपके मन में सम्मान है. लेकिन क्या क्रिकेट को लेकर आपके मन में कोई गुस्सा है.
जवाब: वो भी देश के लिए खेलते हैं और हम भी. जब उन्होंने वर्ल्ड कप जीता, तो हम सब खुश हुए. सचिन को तो मैं भगवान मानता हूं. वो सभी स्पोर्ट्स मैन का भगवान मानता हूं. सेहवाग को मैं इसलिए पसंद करता हूं क्योंकि वह धुंआधार खेलता है.

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क्या असर होगा सचिन के संन्यास का
सानिया: क्रिकेट चलता रहेगा. विराट और रोहित परफॉर्म करेंगे. मगर सचिन के बिना ये खेल बहुत बदल जाएगा. पहले जैसा तो नहीं ही रहेगा.

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