भारत की महिला मुक्केबाज सरिता देवी को एशियाई खेल में समारोह के दौरान अपना कांस्य पदक लौटाने पर AIBA की जांच का सामना करना पड़ेगा. सरिता को निलंबन का सामना भी करना पड़ सकता है.
सरिता को दक्षिण कोरियाई दावेदार जिना पार्क के खिलाफ 60 किग्रा सेमीफाइनल बाउट में दबदबे भरा प्रदर्शन करने के बाद पराजित घोषित किया गया था. वे पोडियम पर बहुत रो रही थीं और उसने कांस्य पदक अस्वीकार कर अधिकारियों और दर्शकों को हैरान कर दिया, जो अब आयोजकों के पास है. यह मुक्केबाज पार्क से हारने के बाद हैरान थीं. दक्षिण कोरियाई मुक्केबाज ने रजत पदक जीता. सरिता दोनों मुक्केबाजों में बेहतर थीं, लेकिन जज का फैसला मेजबान देश की मुक्केबाज के पक्ष में रहा.
सरिता एक पत्रकार और मैरीकॉम के पति की मदद से 500 डॉलर जुटाने में सफल रहीं. उसने इस फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. सरिता पदक समारोह के दौरान चली गईं और पदक पोडियम पर ही छोड़ गईं. रोती हुई सरिता ने बाद में पत्रकारों से कहा कि उसे अपना मुक्केबाजी करियर जारी रखने के लिए पदक समारोह में ऐसा करना पड़ा, वर्ना यह हमेशा उसके दिमाग में रहता.
भारतीय मुक्केबाजी टीम से AIBA नाखुश
सरिता देवी को एशियाई खेलों के पोडियम समारोह के दौरान अपना कांस्य पदक लौटाने पर AIBA की जांच का सामना करना पड़ेगा. मुक्केबाजी की विश्व संचालन संस्था के सुपरवाइजर ने उनके पदक लौटाने को अफसोसनाक करार किया.
AIBA ने बयान में कहा, 'एआईबीए ने इस मामले की समीक्षा के लिए अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रक्रिया शुरू कर दी है. फैसला एशियाई खेलों के तुंरत बाद किया जाएगा.'
AIBA ने कहा कि इसके सुपरवाइजर और तकनीकी प्रतिनिधि डेविड बी फ्रांसिस ने एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA) को इस बारे में एक रिपोर्ट सौंप दी है.
फ्रांसिस ने लिखा, 'पूरी घटना उसके और उसकी टीम द्वारा पहले से तय स्क्रिप्ट की तरह लग रही है. एक मुक्केबाज का पदक लेने से इनकार करना खेदजनक है, भले ही प्रतिस्पर्धा में कुछ भी हुआ हो.'
फ्रांसिस ने कहा, 'इस बारे में तकनीकी प्रतिनिधि के तौर पर मुझे इस घटना की समीक्षा के लिए (OCA) को आग्रह करना पड़ा, इसलिए कि कोई भी मुक्केबाज या किसी अन्य खेल का एथलीट इस रास्ते पर नहीं चले और ओलंपिक मूवमेंट के फेयरप्ले के जज्बे और खेल भावना का सम्मान करे.'
एआईबीए के सुपरवाइजर ने कहा कि पूरी भारतीय मुक्केबाजी टीम एआईबीए रेफरियों और जज सिस्टम का विरोध कर रही थीं, जो निश्चित रूप से इसलिए हुआ, क्योंकि उन्हें प्रतिस्पर्धा के नियमों की पूरी समझ नहीं थी.' रिपोर्ट में कहा गया कि विरोध करते हुए भारतीयों ने एआईबीए तकनीकी नियमों का पालन नहीं किया और जज के फैसलों का विरोध किया. हालांकि नियम केवल रेफरी के फैसले के खिलाफ विरोध की अनुमति देते हैं, जज के फैसले की नहीं.
भारतीय टीम के कुछ सदस्य भी नाराज
भारतीय मुक्केबाज सरिता देवी का भावनात्मक होने के बाद एशियाई खेलों के पोडियम समारोह में कांस्य पदक लेने से इनकार करना राष्ट्रीय दल के कुछ सदस्यों को अच्छा नहीं लगा. टीम के सूत्रों ने कहा कि कम से एक टॉप अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज को लगता है कि इस मणिपुरी मुक्केबाज को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए था जैसा उसने किया. इससे खराब उदाहरण पेश होता है.