बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने इंडिया टुडे ग्रुप के कॉन्क्लेव 'सलाम सचिन' में बताया कि सचिन की राज्यसभा सदस्यता का आइडिया सोनिया गांधी ने ही सुझाया था. इसके अलावा भी राजीव शुक्ला ने सचिन के कई अनजाने पहलुओं से रूबरू कराया. राजीव शुक्ला से बात की आज तक की संवाददाता श्वेता सिंह ने.
सचिन से पहली अच्छी मुलाकात कब हुई?
मैं 2002 में टीम मैनेजर के रूप में इंग्लैंड दौरे पर गया था. जाने के पहले बताया गया कि साहब सचिन टीम बस पर रास्ते में चढ़ेंगे. उन्होंने पहले ही घर में रुकने की परमिशन ली थी. खैर, बस रुकी, वो आकर बैठे. म्यूजिक सिस्टम लगाए हुए थे. बाद में ये तरीका कई खिलाड़ियों ने अपना लिया. वो अंदर आए और मेरे बगल में बैठ गए और बातचीत शुरू हो गई. फिर तो सिलसिला शुरू हो गया.
कैसा रहा सचिन के साथ एक प्रशासक के तौर पर अनुभव?
वह बहुत लोगों के साथ खुलते हैं. कम के साथ दोस्ती करते हैं. एकदम लो प्रोफाइल मेंटेन करके रखते हैं. छोटे खिला़ड़ियों में शुरुआत में डर रहता है सचिन को लेकर. मगर सचिन सरलता के साथ मिक्स कर जाते हैं. सचिन सबसे पहले फॉरेन टुअर में जूनियर लड़कों को डिनर पर ले जाते हैं. इससे लड़के खुल जाते हैं. सचिन खुद अपना औरा तोड़कर मिक्सअप होते हैं.
इसके अलावा मैंने आज तक इतना फोकस्ड प्लेयर नहीं देखा. मैच के एक दो दिन पहले वह लोगों से मिलना जुलना बंद कर देते हैं. फोन पर भी नहीं रहते. मैच के बाद बात करो. मैच के पहले ध्यान भंग नहीं होते. वह कहते हैं कि जिसने गेम के साथ धोखा दिया, वह कभी नहीं चले. मैं बीसीसीआई की तरफ से नहीं व्यक्तिगत रूप से बोल रहा हूं.मेरी इच्छा थी कि वह 25 साल खेलते. हम जयपुर में मिले थे. होटल में बात हुई. तो मैंने कहा कि आप न्यूजीलैंड दौरे तक तो खेलें ही. मैं चाहता था कि वह इतना तो खेले हैं. सचिन बोले कि अभी तो मैंने कुछ तय नहीं किया है. लेकिन जब आएगा, अपने आप ही आएगा. मुझे बैठे बैठे लगेगा एक शाम कि अब मुझे कर लेना चाहिए. मैंने कहा, अरे ऐसे तो नहीं होता है, प्लान करना चाहिए.वह बोले, कि नहीं मेरे साथ ऐसा ही होता है.
फिर जल्द होने वाले साउथ अफ्रीका दौरे के केपटाउन टेस्ट के लिए वह बोले कि मुझे 200 टिकट चाहिए.मुझे लगा कि शायद तब वह रिटायरमेंट लेना चाहते हों. फिर ये वेस्टइंडीज दौरा आ गया.तब एक दिन सुबह उनका फोन आया और बोले आई वॉन्ट टु हैंग माई बूट्स.हम उस वक्त उन्हीं के घर पर थे. अंजली भी थीं. डिनर पर बात हो रही थी.
सचिन ने कहा कि बस एक ही रिक्वेस्ट है कि ये आखिरी टेस्ट मुंबई में हो, ताकि मां खेलते हुए देख सके.
सचिन को सांसद बनाने का आइडिया कहां से आया...?
देखिए ये मेरा आइडिया नहीं था. वेटरन लोग आते हैं. मैं गावस्कर या शास्त्री का नाम सुझा रहा था. मिसेज सोनिया गांधी की तरफ से खयाल आया कि अगर आप सचिन से बात कर सकते हों.वह ढाका में खेल रहे थे. मैंने सचिन को फोन किया. बताया. वह बोले कि मैं परिवार से बात करता हूं. मुझे लगा कि 10 फीसदी काम तो बन गया.एकदम से रिजेक्ट नहीं किया. फिर दूसरे दिन फोन आया कि मेरी फैमिली इस विचार के विरोध में है. मैंने सोनिया जी को बताया.उन्हें नंबर दिया, फिर बात हुई. ये प्रेसिडेंट की तरफ से होता है. सरकार रिकमंड करती है. सरकार ने नाम दिया और फिर वह संसद सदस्य बन गए.
सचिन को भारत रत्न की मांग पर क्या कर रहे हैं?
ये दो तीन साल से चल रही है. मैंने भी मांग की है. आड़े ये आता है कि जब तक कोई खेल रहा है. कल को कोई बात हो जाए. नई कंट्रोवर्सी हो जाए. इसलिए ज्यादा जोर नहीं दिया गया. अब जब वह रिटायर हो रहे हैं, तो निश्चित रूप से विचार होगा.
इंग्लैंड में नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में गांगुली ने टीशर्ट लहराया. आप मैनेजर थे. सचिन के क्या फरमान थे?
मैं आपको बता देता हूं. हमारे खिलाड़ी टोटके पर बहुत यकीन करते हैं. हम सब लॉर्ड्स की बालकनी में बैठे थे. पांच विकेट हो गए थे. हमें लगा कि मैच हार जाएंगे. युवराज और कैफ ने पारी बढ़ाई. मैं सौरव के बगल में बैठा था. वह बोला, लगता है राजीव भाई, ये हो जाएगा. धीमे धीमे पिकअप करते रहे. टारगेट के पास पहुंच गए. सौरव ने कहा कि पूरी टीम टीशर्ट को उतारेगी, और फिर जो हुआ आपने देखा, फिर एक बार मैच के बाद पता चला कि सेहवाग को जॉन राइट ने थप्पड़ मार दिया.
यह सुनकर पूरी टीम का माहौल खराब हो गया. सौरव ने कहा कि जॉन को आकर माफी मांगनी होगी. मैंने कहा कि बात करता हूं.जॉन बाहर सिगरेट पी रहे थे. उन्होंने बताया कि मैंने एक गुरु की तरह गुस्सा उतारा उस पर. थप्पड़ नहीं मारा.बस धक्का दिया क्योंकि उसने फिर वही गलती कर ली थी.हर बार की तरह आउट हो गया था.मैंने आकर बताया कि भाई जॉन ये बात कह रहे हैं कि गुरु की तरह गुस्सा उतारा. सौरव अड़ गए कि नहीं नहीं माफी तो मांगनी होगी. सचिन मुझे किनारे ले गए और बोले कि कुछ भी हो जाए राइट को माफी नहीं मांगनी चाहिए. मैं सलाह समझ गया. कोच माफी मांगेगा तो फिर आगे क्या करेगा. मैंने वीरू को समझाया. उसने खुद ही कहा, नहीं जॉन माफी नहीं मांगेगा. मुद्दा खतम हो गया. मैंने कहा, कमरे में लाकर माफी मंगवा दूंगा.
ड्रेसिंग रूम में माफी की बात खत्म हो गई. होटल में पहुंचने के बाद वीरू बोला कि नहीं कमरे में भी माफी नहीं, शर्मिंदगी होगी.फिर फोन पर ही दोनों की बात हो गई. इस घटना की खास बात यह थी कि इतना मीडिया था किसी को भी इसकी कानों कान खबर नहीं हुई. चार साल बाद राहुल द्रविड़ ने किसी फंक्शन में यह बात बोली, तब बाहर आई.
सचिन संन्यास के बाद क्या करेंगे. कैसे खालीपन भरेगा, इस पर बहुत बात हो रही है?
हां, ब्रेक की बात हो रही है. मैंने पूछा था. वह घूमना चाहते हैं अभी जमकर. आप पूछ सकते हैं कि लगभग सब जगह तो जा चुके हैं. मगर ऐसा नहीं है. वह मुझे बता रहे थे कि प्राग बहुत खूबसूरत है. मैं वहां जाने का प्लान कर रहा हूं. तो ऐसी ही कई योजनाएं हैं उनकी.
सचिन के बारे में खबर आई थी कि वह कांग्रेस का प्रचार कर सकते हैं...
नीता अंबानी के बर्थडे में मुझे मिले थे वह.तब खबरें आ रही थीं कि सचिन कांग्रेस के लिए कैंपेन करेंगे.सचिन ने मुझसे कहा कि अच्छा किया आपने खुद ही इस खबर का खंडन कर दिया. सचिन ने बताया कि मैंने अपने पिता को तीन वचन दिए थे. कभी शराब नहीं पिऊंगा. कभी सिगरेट नहीं पिऊंगा और कभी राजनीति में नहीं आऊंगा. तो ये वन फॉर ऑल है. मुझे नहीं लगता कि वे कभी पॉलिटिकल पार्टी ज्वाइन करेंगे.
सचिन से जुड़ी अपनी सबसे बड़ी बात याद करें.
सचिन संघर्षों से ऊपर उठे. वह अपने पुराने दिन नहीं भूले. मुझे उन्होंने बताया. कला नगर में रहते थे. बस से शिवाजी पार्क आते थे. सुबह के सेशन में प्रैक्टिस करने. एक जोड़ी कपड़े रहते थे. जल्दी जल्दी जाकर धोते थे. सुखाते थे. शाम को फिर आते थे. दो जोड़ी नहीं पहनाते थे. बस एक ही तकलीफ रहती थी. फील्डिंग के वक्त जब जेब में हाथ जाता था. तो जेबें गीली रहती थीं. वे जल्दी नहीं सूख पाती थीं. उन्हें ये सब आज भी याद है.ये बड़ी चीज है. दूसरी चीज महात्वाकांक्षा बहुत नहीं है. कुछ रिटायर्ड क्रिकेटर रात दिन जुगाड़ में लगे रहते हैं.उनके अंदर ये सब नहीं है.
तीसरी चीज, क्रिकेट की नई फसल की कैसे मदद करें. ये हमेशा उनके ध्यान में रहता है. अपनी इमेज का बहुत ख्याल रखते हैं. कुछ भी ऐसा न हो. जिससे इसे धक्का लगे. उन्होंने बताया कि आज तक वह कभी नाइट क्लब नहीं गए.इतने विदेशी दौरों पर रहे.ताकि उनकी छवि पर धक्का न आए.
कारों का उन्हें बहुत शौक है. फरारी कार उन्होंने लगी. मुझे भी लंदन में ड्राइव कराया. फरारी पर लंबा चौड़ा टैक्स था. सरकार छूट दे सकती थी.उन दिनों वित्त मंत्री जसवंत सिंह थे. मैंने बात की. जसवंत जी तैयार हो गए. उनको टैक्स छूट ग्रांट हो गया. इसी दरमियान मीडिया में खबर उछल गई. तेंदुलकर कस्टम ड्यूटी क्यों ऑफ कराना चाह रहे हैं. वह इससे इतना बिदक गए कि अनुमति मिल चुकी थी छूट की. फिर भी उन्होंने पूरा कस्टम चुकाया. ये उनकी खास बात है कि वह विवादों से बचते हैं.