BCCI का अड़ियल रवैया कायम रहा तो आप भारतीय क्रिकेट टीम को 'टीम इंडिया' नहीं कह पाएंगे. बहुत जल्द एक विधेयक कैबिनेट में पेश किया जाएगा जिसके मुताबिक BCCI समेत सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को RTI के दायरे में आना अनिवार्य होगा. अगर खेल महासंघ इसके लिए तैयार नहीं होते, तो सरकार के पास अधिकार होगा कि वह टीम के साथ ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल करने से उसे रोक दे.
'राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक 2013' का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी ने इसके प्रावधानों पर मीडिया से चर्चा की. कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) मुकुल मुद्गल ने बताया कि अगर यह विधेयक कानून का रूप लेता है तो सभी खेल महासंघों को आरटीआई के दायरे में आना होगा. वरना धारा 4 के तहत सरकार को अधिकार होगा कि वह अपीली ट्रिब्यूनल में जाकर उसे टीम के साथ 'भारत' शब्द इस्तेमाल करने से रोक दे.'
उन्होंने बताया, 'हालांकि इसमें गोपनीयता को लेकर कुछ स्तरों पर अपवाद होंगे, जिनमें खिलाड़ियों के ठिकाने, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, चयन मसलों और व्यावसायिक जानकारी शामिल है.'
विधेयक के नए प्रावधानों पर बात करते हुए ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट निशानेबाज और कमेटी के सदस्य अभिनव बिंद्रा ने कहा, 'इसमें नैतिक आयोग, एथलीट आयोग और स्वतंत्र चुनाव आयोग जैसे नये प्रावधान हैं.’
बिंद्रा ने बताया, 'हर राष्ट्रीय महासंघ के प्रशासन में खिलाड़ियों की 25 फीसदी भागीदारी अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसमें से दो सदस्य महासंघ की कार्यकारी इकाई में होंगे और उन्हें वोट देने का अधिकार भी होगा. उप समितियों में भी एथलीट आयोग के सदस्य होंगे.'
उन्होंने बताया, 'इसी तरह आईओसी की आचार संहिता का अनुपालन कराने के लिये एक नैतिक आयोग का गठन किया जाएगा. इसके 9 सदस्य होंगे जिनमें से 3 न्यायिक सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रीय ओलंपिक समिति भारत के चीफ जस्टिस या उनकी ओर से नामांकित जस्टिस की सलाह पर करेगी .'
बिंद्रा ने आगे कहा, 'इसके अलावा 3 सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रीय ओलंपिक समिति करेगी और बाकी को समिति का अध्यक्ष मनोनीत करेगा. आयोग का कार्यकाल चार साल का होगा.' नए मसौदे में भी उम्र और कार्यकाल के दिशानिर्देश को बरकरार रखा गया है जिसके तहत राष्ट्रीय खेल महासंघ के किसी भी पदाधिकारी के लिये अधिकतम आयु सीमा 70 साल होगी और अध्यक्ष पद के लिए वह चार-चार साल के लगातार तीन कार्यकाल पूरे होने के बाद चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
यह पूछने पर कि क्या विधेयक का मसौदा तैयार करते समय खेल महासंघों की राय ली गई, खेल सचिव पीके देब ने बताया कि सभी को मसौदे की कॉपी भेजी गई है और उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है.
इस संबंध में पूर्व खेलमंत्री अजय माकन ने भी एक विधेयक पेश किया था, जिसे कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली थी. इसके बाद नए सिरे से इसके प्रावधानों पर गौर करने के लिये कार्यसमूह का गठन किया गया था.
इसमें निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, पूर्व हॉकी कप्तान वीरेन रसकिन्हा, पूर्व टेनिस खिलाड़ी मनीषा मल्होत्रा, क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया के बीवीपी राव, खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार, खेल सचिव पी के देब, नौकायन खिलाड़ी मालव श्राफ, हॉकी इंडिया के महासचिव नरिंदर बत्रा और साइ के पूर्व महानिदेशक सायन चटर्जी शामिल हैं.
ये भी हैं प्रावधान
-ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके खिलाफ किसी आपराधिक मामले में अदालत में आरोप तय हो गए हों, चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
-खेलों के लिये अलग चुनाव आयोग का गठन किया जायेगा जिसके चुनाव आयुक्त और दो सदस्यों की नियुक्ति तीन सदस्यीय समिति करेगी. इस समिति में राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का अध्यक्ष, खेलमंत्री और एथलीट आयोग का अध्यक्ष शामिल होगा.
-आईपीएल समेत घरेलू टूर्नामेंटों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर भी नैतिक आयोग नजर रखेगा और अगर मसला राष्ट्रहित का हुआ तो कार्रवाई की जाएगी.
-यौन उत्पीडन जैसी घटनाओं से बचने के लिये हर महिला खिलाडी और महिलाओं की टीम के कोचिंग और सहयोगी स्टाफ में महिला सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया है. इसके अलावा एक शिकायत समिति का गठन भी किया जाएगा जो निश्चित समयसीमा के भीतर शिकायतों का निवारण करेगी.