अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने गुरुवार को कहा कि विवादास्पद खेल संहिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रीय महासंघ का अपनी अंतरराष्ट्रीय शीर्ष संस्था से टकराव नहीं हो. और अगर इसे लागू ही करना है तो इसे संसद से मंजूरी मिलनी चाहिए.
पटेल ने कहा कि वह एआईएफएफ के खेल संहिता का पालन करने के संदर्भ में फीफा या एएफसी के दिशानिर्देशों के खिलाफ जाने की कल्पना भी नहीं कर सकते. केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा, ‘फीफा और एएफसी के कुछ नियम ऐसे हैं जिन्हें एआईएफएफ को मानना होता है और हम इन दिशानिर्देशों के खिलाफ नहीं जा सकते. इसलिए खेल संहिता को सुनिश्चित करना होगा कि राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) खेल संहिता का पालन करते हुए अपने अंतरराष्ट्रीय महासंघों के खिलाफ नहीं हो जाये.’
उन्होंने एआईएफएफ के साथ फिक्की द्वारा यहां आयोजित ‘गोल 2013’ सम्मेलन में पत्रकारों से कहा, ‘ऐसा करने से अंतरराष्ट्रीय महासंघों द्वारा मान्यता रद्द हो सकती है और हमें (एनएसएफ) ही इसका नुकसान होगा.’ पटेल ने कहा कि अगर खेल संहिता को लागू किया जायेगा तो संसद की मंजूरी के बाद ही ऐसा होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘खेल मंत्रालय को सभी एनएसएफ और देश में खेल के विकास से संबंधित अन्य शेयरधारकों को भरोसे में लेना चाहिए.
अगर संहिता को लागू किया जाना है तो मैं यही कहूंगा कि इसे संसद की मंजूरी और एनएसएफ की सलाह के बाद ही किया जाये.’ इससे पहले कैबिनेट ने विवादास्पद खेल संहिता के मसौदे को खारिज कर दिया था, तब खेल मंत्री अजय माकन थे और मौजूदा खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि सरकार संहिता से समझौता नहीं कर सकती. भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा खेल संहिता के अनुसार चुनाव कराने के बाद अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने राष्ट्रीय संस्था को निलंबित कर दिया.
आईओसी द्वारा 2020 ओलंपिक के कोर खेलों से कुश्ती को बाहर किये जाने (जिससे भारत के ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीदों को करारा झटका लगा है) के संबंध में पूछे गये सवाल के बारे में पटेल ने कहा, ‘एआईएफएफ का अध्यक्ष होने के नाते मैं कुश्ती महासंघ और देश में कुश्ती जगत की चिंता और दुख को महसूस कर सकता हूं.’ पटेल ने कहा, ‘मुझे उनसे पूरी सहानुभूति है और उम्मीद है कि कुश्ती फिर से ओलंपिक में वापस आ जाये.’
इससे पहले पटेल ने कहा कि खेल के व्यवसायीकरण को प्रोमोट करने की कोशिश के तहत एआईएफएफ कारपोरेट जगत द्वारा समर्थन किये जाने वाले दो क्लबों को 2013-14 आई लीग में खेलने की अनुमति दी जायेगी. पटेल ने कहा, ‘खेल के विकास के लिये एकमात्र तरीका फुटबाल का व्यवसायीकरण है. इसलिये हम 2013.14 आई लीग सत्र में कारपोरेट जगत द्वारा समर्थन हासिल करने वाले दो क्लबों को इसमें खेलने की अनुमति देंगे.
लेकिन इन दोनों क्लबों को लिखित आश्वासन देना होगा कि वे बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश करेंगे और एक अलग वाणिज्यिक पहचान बनाये रखेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें स्टेडियम भी बनाने के लिये कहेंगे. उन्हें इन चीजों के लिये कुछ समय देना होगा और इसलिये उन्हें तीन साल के लिये रेलीगेट नहीं किया जायेगा. निश्चित रूप से कारेपोरेट घरानों द्वारा समर्थन प्राप्त क्लबों में अच्छे खिलाड़ी होंगे और वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे तथा रेलीगेट नहीं होंगे.’