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खेलों में ‘खेल’, गैरों पर करम और अपनों पर सितम

राजधानी दिल्ली में अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल खेल महाकुंभ के प्रचार प्रसार के लिये बनाये गये आधिकारिक ट्विटर अकांउट पर विदेशी खिलाड़ियों और संगठनों को तरजीह दी जा रही है.

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राजधानी दिल्ली में अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल खेल महाकुंभ के प्रचार प्रसार के लिये बनाये गये आधिकारिक ट्विटर अकांउट पर विदेशी खिलाड़ियों और संगठनों को तरजीह दी जा रही है जबकि भारतीय खिलाड़ी इसकी पसंदीदा लोगों की सूची से ही गायब हैं.

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राष्ट्रमंडल ट्विटर अकाउंट कुल छह लोगों और संगठनों को ‘फॉलो’ करता है. इसमें ओलंपिक खेलों में तीन बार स्वर्ण पदक जीतने वाली आस्ट्रेलिया की स्टेफनी राइस, पूर्व ब्रिटिश अंतरराष्ट्रीय तैराक कारेन पिकेरिंग शामिल हैं. इन दो खिलाड़ियों के अलावा चार संगठनों को भी फॉलो किया जाता है.

दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के पसंदीदा संगठनों में ब्रिटेन का वर्चस्व नजर आता है. यह ग्लासगो शहर में वर्ष 2014 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेल, उत्तरी आयरलैंड राष्ट्रमंडल खेल, ब्रिटेन की राष्ट्रमंडल खेल टीम के नाम से बने अकांउट ‘वी आर इंग्लैंड’ तथा ‘राष्ट्रमंडल’ देशों के आधिकारिक अकांउट को फॉलो करता है. {mospagebreak}

राष्ट्रमंडल खेलों के प्रचार प्रसार और दर्शकों को इससे जुड़ी सूचनायें देने के लिये बनाये गये इस अकांउट पर भारतीय खिलाड़ियों और संगठनों की उपेक्षा की गई है. आलम यह है कि राष्ट्रमंडल खेलों के ब्रांड दूत अभिनव बिंद्रा तक को भी इससे नहीं जोड़ा गया है. ओलंपिक और 10 मीटर एयर राइफल विश्व चैंपियन अभिनव ब्रिंद्रा ट्विटर पर बेहद सक्रिय हैं और वह लगातार लोगों को इन खेलों से जुड़ी नकरात्मक खबरों से बचने और इस खेल महाकुंभ का पूरा आनंद उठाने की सलाह दे रहे हैं.

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इस अकांउट का उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीकी साधनों का इस्तेमाल करते लोगों में राष्ट्रमंडल खेलों को लोकप्रिय करना था. लेकिन यह ट्विटर अकांउट भी अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरता नहीं दिखाई पड़ रहा है. राष्ट्रमंडल ट्विटर अकांउट पर 13 अक्तूबर 2009 को पहला ट्वीट किया गया था. तब से लेकर अब तक यह अकांउट केवल 3008 फॉलोअर जुटा सका है और मात्र 130 लोगों ने इसे लिस्टेड किया है.

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