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खेल मंत्रालय ने की हॉकी दिग्गज ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश

पिछले काफी लंबे समय से भारतीय हॉकी के दिग्गज ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग चल रही है. लेकिन अब लगता है यह मांग जल्द ही पूरी हो सकती है. केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिख भारत रत्न के लिए ध्यानचंद के नाम की सिफारिश की है.

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ध्यानचंद को मिलेगा भारत रत्न
ध्यानचंद को मिलेगा भारत रत्न

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पिछले काफी लंबे समय से भारतीय हॉकी के दिग्गज ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग चल रही है. लेकिन अब लगता है यह मांग जल्द ही पूरी हो सकती है. केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्ठी लिख भारत रत्न के लिए ध्यानचंद के नाम की सिफारिश की है. उम्मीद की जा रही है कि यह सिफारिश जल्द ही मंजूर भी की जा सकती है.

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को भारत रत्न दिलाने की मांग के साथ, पूर्व दिग्गज हॉकी खिलाड़ियों ने रविवार को जंतर मंतर का रुख किया. इस दौरान ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार, 1975 में भारत को खिताबी जीत दिलाने वाले अजित पाल सिंह के अलावा जफर इकबाल, दिलीप टिर्की यहां जंतर-मंतर पर इस उम्मीद के साथ जुटे कि मोदी सरकार उनकी मांग पूरी करेगी.

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तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलवाए
जंतर-मंतर के मंच से हॉकी खिलाड़ी ध्‍यानचंद को भारत रत्न देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराते हुए पूछा गया कि क्या सरकार अपने खेल जीवन में 1000 से ज्यादा गोल करने वाले उस महान खिलाड़ी को भारत रत्न देगी. जिसकी अगुआई में भारत ने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते.

बार-बार उठी मांग
हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को भारत रत्न की दिलाने की मांग के लिए जुटे पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों ने मंच से निराशा जताते हुए बताया कि पहला भारत रत्न ध्यानचंद को मिलना चाहिए था लेकिन उनके साथ सही न्याय नहीं हुआ. 2014 में हॉकी खिलाड़ियों ने मार्च निकालकर तत्कालीन प्रधानमंत्री से मांग भी की थी. इसके बाद 2011 में 82 सांसदों ने युवा एवं खेल मंत्रालय से ध्यानचंद को भारत रत्न देने की अपील की. 2016 में राज्यसभा सदस्य दिलीप टर्की ने भी संसद में ध्यानचंद को भारत रत्न न देने के सवाल को उठाया था. लेकिन अब तक सरकार ने इस अपील को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है.

पढ़ें मेजर ध्यानचंद के बारे में कुछ खास बातें...

1. हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद के राजपूत घराने में हुआ. ध्यानचंद को फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में ब्रैडमैन के बराबर माना जाता है.

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2. जब वे हॉकी लेकर मैदान में उतरते थे तो गेंद इस तरह उनकी स्टिक से चिपक जाती थी जैसे वे किसी जादू की स्टिक से हॉकी खेल रहे हों.

3. हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई. जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई. ध्यानचंद ने हॉकी में जो कीर्तिमान बनाए, उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच सका है.

4. ध्यानचंद की शुरुआती शिक्षा के बाद 16 साल की उम्र में साधारण सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए. जब 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट' में भर्ती हुए उस समय तक उनके मन में हॉकी के प्रति कोई विशेष दिलचस्पी या रुचि नहीं थी. ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को है.

5. ध्यानचंद ने तीन ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। भारत ने 1932 में 37 मैच में 338 गोल किए, जिसमें 133 गोल ध्यानचंद ने किए थे. दूसरे विश्व युद्ध से पहले ध्यानचंद ने 1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिल्स) और 1936 (बर्लिन) में लगातार तीन ओलंपिक में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल दिलाए. वियना में ध्यानचंद की चार हाथ में चार हॉकी स्टिक लिए एक मूर्ति लगी है.

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6. 1956 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. उनके जन्मदिन को भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है. इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं. भारतीय ओलंपिक संघ ने ध्यानचंद को शताब्दी का खिलाड़ी घोषित किया था.

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