चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष कृष्णामाचारी श्रीकांत ने कहा कि चयन समिति की बैठकों में उठे मसलों का खुलासा करना सही नहीं है. श्रीकांत पर आरोप लगाया जा रहा है कि खराब प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का बचाव किया.
पूर्व चयनकर्ता मोहिंदर अमरनाथ ने कहा है कि पांच में से तीन चयनकर्ता धोनी को हटाने के पक्ष में थे लेकिन बोर्ड प्रमुख एन श्रीनिवासन ने कप्तान को बचा लिया. वहीं पूर्व राष्ट्रीय चयन समिति अध्यक्ष किरण मोरे ने भी कहा कि मोहिंदर अमरनाथ का ‘चयन मामलों में बीसीसीआई अध्यक्ष के हस्तक्षेप’ का खुलासा करना ठीक नहीं था.
श्रीकांत ने कहा, ‘मैंने हमेशा से कहा है कि चयन समिति की बैठकों में जो भी होता है, वह चारदीवारी के भीतर रहना चाहिये. मुझे या किसी और को उसका खुलासा नहीं करना चाहिये.’ उन्होंने कहा, ‘यह कंपनी की बोर्ड मीटिंग की तरह है जिसमें कई मसलों पर बात होती है लेकिन कोई इसका खुलासा नहीं करता.’
अमरनाथ के आरोपों पर सीधे जवाब देने से इनकार करते हुए श्रीकांत ने कहा, ‘हम चयन समिति की बैठकों में कई मसलों पर बात करते हैं. धोनी की कप्तानी या एक्स, वाय, जेड कई मसलें बैठक में उठते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हम कप्तानी से जुड़े मसलों, पूर्व खिलाड़ियों, टीम संयोजन पर हमेशा बात करते हैं. आखिर में फैसला सर्वसम्मति से ही होता है.’ श्रीकांत ने कहा कि विवादों पर फोकस नहीं होना चाहिये.
श्रीकांत ने कहा कि मुख्य चयनकर्ता के तौर पर अपने कार्यकाल में वह कभी टीम की हार की जिम्मेदारी लेने से नहीं हिचके. उन्होंने कहा, ‘हम जो भी फैसले लेते हैं, वे देश के हित में होते हैं. कई बार चयन सही होता है तो कई बार नहीं. इसी चयन समिति ने 2011 विश्व कप विजेता टीम चुनी थी और तब किसी ने हमें श्रेय नहीं दिया.’
उन्होंने कहा, ‘जब हम इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में बुरी तरह हारे तो मैं जिम्मेदारी लेने से कभी पीछे नहीं हटा.’ वहीं मोरे ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह बहुत गोपनीय क्षेत्र होता है. जब आप चयनकर्ता बनते हो, आपको जानना चाहिए कि बीसीसीआई के नियम और इसका संविधान क्या है. मैं अमरनाथ से सहमत नहीं हूं और यह भारतीय क्रिकेट के लिये अच्छा नहीं है. टीम चयन वाला कमरा बहुत गोपनीय होता है और इससे बाहर कुछ नहीं आना चाहिए.’