सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) को अपनी स्वायत्तता बनाए रखने के लिए खुद ही सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग कांड में एन श्रीनिवासन और 12 अन्य के खिलाफ जांच करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति के आरोपों के प्रति वह आंख नहीं मूंद सकता है.
न्यायमूर्ति एके पटनायक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुंदर रमण को आईपीएल के सातवें संस्करण में मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) के रूप में काम करते रहने की अनुमति प्रदान कर दी है. लेकिन कोर्ट ने इन आरोपों की विशेष जांच दल या केंद्रीय जांच ब्यूरो को जांच करने का आदेश देने पर संकोच व्यक्त करते हुए कहा कि बोर्ड की संस्थागत स्वायत्तता बनाए रखना होगा और बेहतर होगा कि बोर्ड द्वारा गठित समिति इस मसले पर गौर करे.
क्रिकेट को लेकर चिंतित
न्यायाधीशों ने कहा कि आरोपों के स्वरूप को देखते हुए हम अपनी आंख मूंद नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा कि वे व्यक्तियों को लेकर नहीं बल्कि देश में क्रिकेट के खेल को लेकर चिंतित हैं. न्यायमूर्ति मुद्गल समिति की सीलबंद लिफाफे में पेश रिपोर्ट का जिक्र करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि सभी आरोप श्रीनिवासन के संज्ञान में लाए गए थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया. इसका मतलब यह हुआ कि वह इन आरोपों के बारे में जानते थे ओर उन्होंने इन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया.
सुंदर रमण बने रहेंगे सीओओ
इस बीच, न्यायालय ने अबूधाबी में आज से शुरू हो रहे आईपीएल-सात के मुख्य संचालन अधिकारी (सीओओ) के रूप में सुंदर रमण को काम करते रहने की अनुमति प्रदान कर दी. कोर्ट द्वारा बोर्ड के अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त वरिष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि रमण के भाग्य का फैसला किया जाए. इसके बाद ही कोर्ट ने रमण को इस पद पर काम करते रहने की अनुमति प्रदान की. कोर्ट ने इससे पहले गावस्कर से कहा था कि रमण को पद पर बनाए रखने या हटाने के बारे में वह निर्णय करें.
ऑडियो रिकॉर्डिंग मसले की सुनवाई को तैयार
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि आईपीएल-7 निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होगा और वह बीसीसीआई तथा श्रीनिवासन के अनुरोध पर सुनवाई के लिए भी तैयार हो गया. दोनों ने ही मुद्गल समिति के साथ भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और श्रीनिवासन की बातचीत की ऑडियो रिकार्डिंग उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. श्रीनिवासन ने कल ही कोर्ट से अपने अंतरिम आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था. इस आदेश के तहत कोर्ट से श्रीनिवासन को बोर्ड के कामकाज से दूर रहने का निर्देश दिया था. श्रीनिवासन ने अध्यक्ष पद के रूप में अपना शेष कार्यकाल पूरा करने की अनुमति कोर्ट से मांगी थी. उनका कार्यकाल सितंबर में पूरा हो रहा है.
आरोपों को नकारा
उन्होंने उस घटनाक्रम का सिलसिलेवार विवरण दिया है जिसकी वजह से कोर्ट ने उन्हें बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम नहीं करने का आदेश दिया था. उन्होंने दलील दी है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने उनके खिलाफ अनुचित और अप्रमाणित आरोप लगाए थे. श्रीनिवासन ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे के इस आरोप से इनकार किया था कि वह भ्रष्टाचार और पर्दा डालने के दोषी हैं.
उन्होंने सद्टेबाजी कांड के दो आरोपी बिंदू दारा सिंह और मयप्पन के बीच बातचीत के बारे में मुद्गल समिति द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश किसी भी ऑडियो टेप के तथ्यों की जानकारी से भी इनकार किया है.