राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे ललित भनोट के भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव पद पर निर्विरोध निर्वाचित होने से शुक्रवार को ताजा विवाद पैदा हो गया लेकिन आईओए ने साफ किया कि उन्हें अभी तक अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है.
राष्ट्रमंडल खेलों के भ्रष्टाचार के आरोपों में भनोट ने लगभग एक साल जेल में बिताया. सेवानिवृत न्यायाधीश अनिल देव सिंह की अगुवाई में तीन सदस्यीय आईओए चुनाव आयोग ने उम्मीद्वारों की जो अंतिम सूची तैयार की है उसके अनुसार चौटाला अध्यक्ष पद, भनोट महासचिव, वीरेंद्र नानावटी वरिष्ठ उपाध्यक्ष और एन रामचंद्रन कोषाध्यक्ष पद के लिये निर्विरोध चुने गये हैं.
चौटाला ने शुक्रवार को भनोट के निर्वाचन का खुलकर बचाव किया. उन्होंने कहा, ‘इस देश का कानून जब तक उन्हें दोषी नहीं ठहराता तब तक आप उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते. मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, जयललिता, ओम प्रकाश चौटाला, प्रकाश सिंह बादल सभी के खिलाफ मुकदमें दर्ज हैं जबकि इनमें से कुछ अपने राज्यों के मुख्यमंत्री हैं. मुलायम और मायावती के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं लेकिन उनके सहारे देश की सरकार टिकी हुई है.’
उन्होंने कहा, ‘भनोट के मामले में मैं एक बात साफ कर दूं कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने आईओए को सीधे तौर पर कोई पत्र नहीं लिखा है. जगदीश टाइटलर ने आईओसी से पूछा था कि क्या भनोट चुनाव लड़ सकते हैं या नहीं. आईओसी ने टाइटलर को जवाब दिया है हमें नहीं.’
भनोट को पूर्व आईओए अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी और वी के वर्मा के साथ राष्ट्रमंडल खेल भ्रष्टाचार घोटाले में जेल भेजा गया था. आईओसी के आचार आयोग की सिफारिशों के अनुसार भनोट जैसे दागी अधिकारी ओलंपिक मूवमेंट का हिस्सा नहीं हो सकते. इस बीच भनोट गुट के एक अधिकारी ने उनके चुनाव को सही ठहराया.
उन्होंने कहा कि यह मामला अदालत के अधीन है. उन्होंने कहा, ‘सभी ने उनकी उम्मीद्वारी का समर्थन किया था क्योंकि उन्हें किसी आरोप में दोषी नहीं पाया गया है. उनके खिलाफ लगाये गये आरोप साबित नहीं हुए है, अगर अदालत उन्हें दोषी साबित करता है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने हमेशा खेलों को बढ़ावा देने की कोशिश की. मीडिया उनको गलत दागी करार देता है.’
अध्यक्ष पद से अपना नामांकन वापस लेने वाले रणधीर सिंह और भारतीय हॉकी महासंघ के पूर्व अध्यक्ष के पी एस गिल ने भनोट के चुनाव की कड़ी आलोचना की.
रणधीर ने कहा, ‘वे आईओसी दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं. भनोट जैसे दागी अधिकारियों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था लेकिन उन्हें केवल पद हासिल करने की लालसा है.’ केपीएस गिल ने कहा कि आईओए को खुद को साफ सुथरा रखना चाहिए तथा बाकी समस्याएं बाद में निबटायी जा सकती हैं.
उन्होंने कहा, ‘आईओए पहले खुद की छवि साफ करनी चाहिए. बाकी चीजें बाद में होंगी. आईओए में कई अवांछित तत्व हैं. इन लोगों के रहते हुए आप कोई प्रगति नहीं कर सकते.’
गिल ने नरिंदर बत्रा और आर के आनंद के संदर्भ में कहा, ‘इन लोगों का खेलों के विकास में योगदान का कोई रिकार्ड नहीं है. वे पहले भी निजी हितों के लिये दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते रहे हैं, उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं है.’