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इंग्लैंड के खिलाफ एक और हार के लिए तैयार रहे टीम इंडिया

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया 2-1 से पीछे है, और इस नतीजे के लिए जिम्मेदार भी कोई और नहीं टीम के खिलाड़ी ही हैं. ट्रेंट ब्रिज टेस्ट ड्रॉ कराकर और लॉर्ड्स टेस्ट जीतकर जो उम्मीद टीम इंडिया ने जगाई थी उसे पलक झपकते ही भारत के सूरमाओं ने मिट्टी में मिला दिया.

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महेंद्र सिंह धोनी
महेंद्र सिंह धोनी

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया 2-1 से पीछे है, और इस नतीजे के लिए जिम्मेदार भी कोई और नहीं टीम के खिलाड़ी ही हैं. ट्रेंट ब्रिज टेस्ट ड्रॉ कराकर और लॉर्ड्स टेस्ट जीतकर जो उम्मीद टीम इंडिया ने जगाई थी उसे पलक झपकते ही भारत के सूरमाओं ने मिट्टी में मिला दिया. इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज जीतने का सपना तो अब सपना ही रहा लेकिन फिलहाल सीरीज बचाने की चुनौती टीम के सामने खड़ी है और टीम के पास इसका कोई तोड़ भी नजर नहीं आ रहा है.

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सीरीज का पांचवां और आखि‍री टेस्ट 15 अगस्त से केनिंगटन ओवल में शुरू हो रहा है. भारत ने इस मैदान पर पिछले 43 सालों से कोई टेस्ट मैच नहीं जीता है. भारत ने इस मैदान पर पहली और आखरी टेस्ट जीत अजित वाडेकर की कप्तानी में 1971 में दर्ज की थी. ये रिकॉर्ड भी भारतीय टीम को उत्साहित नहीं करते कि वह जीत की उम्मीद करे. सोने पे सुहागा यह है कि खुद टीम के कप्तान भी हार से सबक लेने को तैयार नहीं.

टीम इंडिया के बल्लेबाज जैसे ही इंग्लैंड पहुंचे मानो ऐसा लग रहा है कि वहां की कोल्ड कंडीशन के चलते उनके बल्ले में भी बर्फ जम गई है. सीरीज में जो आंकड़े अब तक के 4 टेस्ट मैचों में नजर आए हैं उसको देखकर लगता है कि टीम इंडिया से ओवल में जीत की उम्मीद ना ही की जाए तो बेहतर है. इंग्लैंड के लिए इस सीरीज में गैरी बैलेंस ने अकेले जितने रन (439) बनाए हैं उतने रन भारत के तीन धुरंधरों, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और शिखर धवन मिलकर भी नहीं बना पाए हैं (437).

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बल्लेबाजों की बेबसी यहीं खत्म नहीं होती, इस सीरीज में 12 बार ऐसे मौके आए जब भारत के सूरमा खाता भी नहीं खोल पाए. जबकि इंग्लैंड के लिए यह आंकड़ा मात्र 3 तक ही सीमित है. बेन स्टोक्स 3 बार शून्य पर आउट हुए और अब वह इंग्लैंड टीम से भी आउट हो चुके हैं. सीरीज में इंग्लैंड की तरफ से 7 बार शतकीय साझेदारी हुई जबकि भारत के बल्लेबाज मात्र 2 बार ही यह कारनामा कर पाए, जिसमें एक बार तो भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी ने सौ रनों की साझेदारी की.

मिडिल ऑर्डर की दुर्गति तो यह आंकड़ा और भी खुलकर बयां करता है कि पिछली 32 पारियों में भारत के 8 से लेकर 11 नंबर तक के बल्लेबाजों ने 27.12 की औसत से 651 रन बनाए, जिसमें 6 अर्धशतकीय साझेदारियां शामिल रहीं. लेकिन मिडिल ऑर्डर का हाल तो इनसे भी कहीं बुरा नजर आता है, नंबर 4 से नंबर 7 तक के बल्लेबाजों ने इस बीच 24.74 की बेहद घटिया औसत से 767 रन जोड़े, जिसमें मात्र 5 अर्धशतकीय और एक शतकीय साझेदारी हुई.

बात सिर्फ बल्लेबाजी की ही क्यों, गेंदबाजों और फील्डरों ने भी मौजूदा इंग्लैंड दौरे को यादगार बना लिया. जितने कैच भारत ने पकड़े हैं उतने टपकाए भी हैं, और कई मौकों पर तो ऐसा लगा कि भारत ने न सिर्फ कैच बल्कि मैच ही छोड़ दिया. सीरीज में अब तक कुल 125 विकेट गिरे, जिसमें 76 विकेट इंग्लैंड के गेंदबाजों ने लिए और 49 भारत के गेंदबाजों ने. टीम इंडिया की मजबूती कही जाने वाली स्पिन गेंदबाजों का हाल तो और भी बेहाल नजर आया है, और वह सीरीज में सिर्फ 11 विकेट ही दिला सके हैं. जबकि इंग्लैंड के अकेले मोईन अली ने 19 विकेट झटके हैं.

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जाहिर है इन आंकड़ों को देखकर कोई भी आहत होगा, लेकिन दुःख की बात तो यह है कि भारतीय खिलाड़ी इस सीरीज में लगातार एक जैसी ही गलती करते चले जा रहे हैं और उनको समझाने वाला कोई नहीं है. सवाल यह भी है कि बीसीसीआई जिन कोचिंग स्टाफ्स पर करोड़ों रुपये खर्च करती है वह आखिर कर क्या रहे हैं? बहरहाल अब तो उम्मीद सिर्फ इसी बात पर है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और शायद ये अनिश्चितता भारत की लाज बचा जाए.

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