पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने डे-नाइट टेस्ट मैच शुरू करने की वकालत की है. टेस्ट क्रिकेट की तुलना पेड़ के तने से करते हुए द्रविड़ ने कहा कि गुलाबी गेंद के साथ ही डे-नाइट टेस्ट मैच शुरू किए जा सकते हैं.
द्रविड़ ने टेस्ट क्रिकेट की अहमियत बताते हुए कहा, 'टेस्ट क्रिकेट पेड़ के तने की तरह है और टी20 या वनडे इसकी शाखाओं की तरह है.' उन्होंने कहा, 'निष्पक्ष होकर कहूं तो शाखाओं पर फल लगते हैं और इसलिए वे सबकी चहेती होती हैं. लेकिन तना पुराना और बड़ा हिस्सा होता है जो लंबे समय बाद ऊंचा और मोटा होता है. लेकिन असल में यही जीवन का स्रोत है. तने को काट दीजिए तो सभी शाखाए गिर जाएंगी और फल सूख जाएगा.'
एक समय भारत के मध्यक्रम की सबसे मजबूत दीवार कहे जाने वाले द्रविड़ ने कहा, 'मुझे लगता है कि हम शायद वहां पहुंचने से सिर्फ एक पीढ़ी दूर हैं, जब हमारा सब युवा सिर्फ टी20 क्रिकेट पर ध्यान देंगे और टेस्ट क्रिकेट को कोई तवज्जो नहीं देगा.'
डे-नाइट टेस्ट से नहीं है खेल की परंपरा को खतरा
राहुल द्रविड़ ने खेल के लंबे फॉरमैट को लोकप्रिय बनाने के लिए अपनी ओर से सुझाव दिए. द ओवल में ईएसपीएन क्रिकइंफो के ‘द फ्यूचर आफ टेस्ट क्रिकेट इन मॉडर्न एज’ कार्यक्रम में द्रविड़ ने कहा, 'अगर इसका मतलब डे-नाइट क्रिकेट खेलना है तो हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए और विकल्प खुले रखने चाहिए. अगर हम टेस्ट क्रिकेट को दूधिया रोशनी में खेलेंगे तो इससे खेल की परंपरा को खतरा नहीं होगा. मुझे पता है कि गुलाबी गेंद के टिकने को लेकर संशय है लेकिन एमसीसी की ओर से खेलते हुए मुझे इससे खेलने का कुछ अनुभव है और यह ठीक-ठाक लग रही थी.'
द्रविड़ ने कहा, 'टेस्ट किकेट ने पूरी सदी के दौरान अपना लचीलापन साबित किया है. हमें यह समझना होगा कि अतीत कितना भी संकट से भरा रहा हो, यह अपने इतिहास के काफी नाजुक मौके पर पहुंच गया है.'