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सचिन के लिये भाग्यशाली नहीं बन पाया 24 फरवरी

विनोद कांबली के साथ स्कूली स्तर पर रिकॉर्ड साझेदारी हो या फिर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला दोहरा शतक, सचिन तेंदुलकर के लिये 24 फरवरी भाग्यशाली दिन माना जाता था लेकिन चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में ऐसा नहीं हो पाया.

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सचिन तेंदुलकर
सचिन तेंदुलकर

विनोद कांबली के साथ स्कूली स्तर पर रिकॉर्ड साझेदारी हो या फिर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला दोहरा शतक, सचिन तेंदुलकर के लिये 24 फरवरी भाग्यशाली दिन माना जाता था लेकिन चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में ऐसा नहीं हो पाया.

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तेंदुलकर टेस्ट क्रिकेट में पिछले तीन साल से अधिक समय से शतक नहीं लगा पाये हैं. वह एम ए चिदंबरम स्टेडियम में वह इस इंतजार को समाप्त करने की पूरी स्थिति में दिख रहे थे. लेकिन तभी लियोन की फुललेंथ गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटों में समा गयी. तेंदुलकर 81 रन ही बना पाये और इस बार 24 फरवरी उनका साथ नहीं दे पायी.

उन्होंने ठीक 25 साल पहले 24 फरवरी 1988 को मुंबई के शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल की तरफ से खेलते हुए कांबली के साथ 664 रन की साझेदारी करके नया विश्व रिकॉर्ड बनाया था. इसके 22 साल बाद 24 फरवरी 2010 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर में तेंदुलकर ने फिर से नया इतिहास रचा. वह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बने. तेंदुलकर पूरे 50 ओवर तक क्रीज पर टिके रहे और उन्होंने नाबाद 200 रन बनाये थे.

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बहरहाल तेंदुलकर शतक से चूक गये लेकिन इसके बावजूद वह एक नया रिकॉर्ड अपने नाम करने में सफल रहे. वह अब टेस्ट मैचों में 80 और 89 के बीच सर्वाधिक बार आउट होने वाले बल्लेबाज बन गये हैं. यह 12वां अवसर है जबकि तेंदुलकर 80 और 89 के बीच आउट होकर पवेलियन लौटे.

ऑस्ट्रेलिया के एलन बोर्डर, इंग्लैंड के माइक एथर्टन और भारत के राहुल द्रविड़ 11-11 बार इन संख्याओं के बीच आउट हुए हैं. तेंदुलकर इस पारी में बोल्ड हुए. वह टेस्ट मैचों में 54 बार बोल्ड हो चुके हैं. उन्होंने बोर्डर (53 बार बोल्ड) को पीछे छोड़ा. अब केवल द्रविड़ (55 बार बोल्ड) ही सचिन से इस मामले में आगे हैं. पिछली 18 पारियों में तेंदुलकर आठ बार बोल्ड हो चुके हैं.

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