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इस बार खुलेगा स्क्वैश में खाता!

सौरव घोषाल की शानदार फॉर्म तथा जोशना चिनप्पा व दीपिका पल्लीकल के बेहतरीन तालमेल की बदौलत भारत कॉमनवेल्थ गेम्स की स्क्वैश स्पर्धा में पहली बार पदक जीत सकता है. स्क्वैश को 1998 में कुआलालंपुर कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल किया गया था.

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सौरव घोषाल की शानदार फॉर्म तथा जोशना चिनप्पा व दीपिका पल्लीकल के बेहतरीन तालमेल की बदौलत भारत कॉमनवेल्थ गेम्स की स्क्वैश स्पर्धा में पहली बार पदक जीत सकता है. स्क्वैश को 1998 में कुआलालंपुर कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल किया गया था.

भारत ने केवल एक बार 2002 में इस खेल में भाग लिया है, तब पुरुष एकल में ऋत्विक भट्टाचार्य दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ पाए थे. तीन अक्टूबर से यहां होने वाले गेम्स में भारत की महिला और पुरुष टीम के सभी 10 सदस्य पहली बार इन खेलों में भाग लेंगे.

भारतीयों कोच साइरस पोंचा को उम्मीद है कि सिरीफोर्ट स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में होने वाले मुकाबलों में स्थानीय खिलाड़ी नया इतिहास रचने में सफल रहेंगे. पोंचा ने कहा कि हम महिला युगल व मिश्रित युगल में पदक जीतने की उम्मीद कर रहे हैं.

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दुनिया में 26वें नंबर के खिलाड़ी सौरव घोषाल, सिद्धार्थ सुचदे, हरिंदर पाल सिंह, संदीप जांगड़ा और गौरव नंद्राजोग पुरुष वर्ग में भारतीय चुनौती की अगुवाई करेंगे. महिला टीम में दीपिका, जोशना, अनाका अलंकामनी, अन्वेषा रेड्डी और सुरभि मिश्रा शामिल हैं.

भारतीय टीम के अधिकतर सदस्यों ने विदेशों में रहकर अपनी तैयारियां की हैं, जहां उन्हें खुद से अधिक रैंकिंग के खिलाड़ियों का सामना करने का भी मौका मिला. इसका फायदा उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल सकता है. भारतीयों को पदक जीतने के लिए मुख्य रूप से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड पदक के खिलाड़ियों से पार पाना होगा.

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