कैरियर के लिये खतरा बनी दो चोटों से उबरने के बाद तेज गेंदबाज एस श्रीसंत ने कहा कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में वापसी से पहले व्हीलचेयर पर बिताया समय उनकी जिंदगी का सबसे खराब दौर था.
मुझे लगा, कभी नहीं खेल पाऊंगा
श्रीसंत ने 14 महीने बाद वापसी करते हुए हाल ही में केरल के लिये रणजी क्रिकेट खेला. कोच्चि में उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि लड़के रोते नहीं. मैं जब उंगलियों के आपरेशन के कारण दो महीने व्हीलचेयर पर था तब बच्चों की तरह रोता था. उन्होंने कहा मुझे लगने लगा था कि मैं कभी क्रिकेट फिर नहीं खेल पाऊंगा. मुझे बहुत डर लगता था.
बैसाखियों के सहारे चला
श्रीसंत ने कहा, दो महीने व्हीलचेयर पर बिताने के बाद अगले तीन महीने मैं बैसाखियों के सहारे चलता रहा. बीसीसीआई, केरल क्रिकेट संघ और एनसीए ने मेरा बहुत साथ दिया. जिस समय मैंने कहा कि मैं पूरी तरह फिट हूं, केरल क्रिकेट संघ ने मुझे तुरंत टीम में जगह दी. वह यहां पालम मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ रविवार को भारत-ए के लिये खेलेंगे.
अब आराम नहीं करना
श्रीसंत ने कहा, मेरे लिये यह नई शुरुआत है. मैं अब खेल का पूरा मजा लेना चाहता हूं. केरल के लिये खेलूं, भारत ए या फिर भारत के लिये. मैं तनिक भी आराम नहीं करना चाहता.
ब्रेक के दौरान उन्होंने क्या किया, यह पूछने पर श्रीसंत ने कहा, 'मैंने रोज डायरी लिखना शुरू किया. मैंने उस दौर में अपनी जिंदगी के हर पल का जिक्र उसमें किया है. इसके अलावा भारत के लिये अपने अच्छे प्रदर्शन की सीडी देखता था. यह पूछने पर कि क्या चोट से उनकी गेंदबाजी तकनीक में कोई बदलाव आया है, उन्होंने कहा, पहले मैं गेंदबाजी क्रीज तक 26 कदम का रनअप लेता था पर अब 23 कदम का ले रहा हूं.