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टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए चौथा दिन काफी निराशाजनक रहा. टेबल टेनिस में पदक की उम्मीद मनिका बत्रा भी महिला एकल के तीसरे दौर में हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गई हैं. मनिका को ऑस्ट्रिया की सोफिया पोलकानोवा के हाथों 8-11, 2-11, 5-11, 7-11 से हार झेलनी पड़ी. मनिका बत्रा की मिक्स्ड डबल्स में चुनौती पहले ही खत्म हो चुकी है.
पोलकानोव के खिलाफ मुकाबले में मनिका बत्रा को कोच की कमी साफ खलती दिखी. दरअसल, मनिका के निजी कोच सन्मय परांजपे को उनके मुकाबले के दौरान स्टेडियम में आने की अनुमति नहीं मिली थी. इसके विरोध में उन्होंने राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय की सेवाएं लेने से इनकार कर दिया था. हालांकि जब 24 जुलाई को अचंत शरत कमल और मनिका मिक्स्ड डबल्स में राउंड-16 का मैच खेलने उतरे थे, तो सौम्यदीप रॉय कोच कॉर्नर में दिखे थे. अब एकल मुकाबले में हार के बाद मनिका ने कोच विवाद को लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है.
मनिका ने इंडिया टुडे से कहा, 'सबको को कोई न कोई चाहिए होता है पीछे से सपोर्ट करने के लिए. मैं जिसके साथ खेल रही थी, उसके पीछे भी कोच था. ओलंपिक के इतने बड़े इवेंट में इस स्टेज पर मानसिक रूप से मजबूत रखने और सलाह देने के लिए कोच का रहना जरूरी होता है. मैंने कोच को अनुमति देने के लिए पहले अनुरोध किया था. मैं इसके लिए किसी को दोष नहीं दे रही.'
मनिका ने कहा, 'अगर होता (कोच) तो अच्छा रहता. जैसे भारत की ओर से सिर्फ सुतीर्था (भारत की ही दूसरी टेबल टेनिस खिलाड़ी) के पास उनका अपना कोच था. वो चीज बहुत काम आती है कि मैच में आप जा रहे हो और पीछे कोई सलाह दे रहा है. ठीक है, मैं मानसिक रूप से मजबूत हूं और मैंने अपना बेस्ट दिया.'
26 साल की मनिका ने आगे कहा, 'सच कहूं तो कोई भी खिलाड़ी इतनी जल्दी संतुष्ट नहीं होता है. इसलिए मैं आज के अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं. मुझसे जो गलतियां हुई हैं, उसे मैंने लिख लिया है. जाते ही मैं इन खामियों को सुधारने का प्रयास करूंगी. पेरिस ओलंपिक में भी अब कम समय बचा है. इस साल विश्व चैम्पियनशिप और अगले साल कॉमनवेल्थ गेम्स है. ट्रेनिंग में जितना हो सकेगा वो करती रहूंगी. मैं अब इस टूर्नामेंट के बारे में नहीं सोच रही हूं. माइंड में रहेगा, लेकिन कोशिश रहेगी कि इस पर ध्यान न देते हुए ट्रेनिंग करूं.'