हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी केशव दत्त का निधन हो गया. वह 95 साल के थे. केशव 1948 और 1952 ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट भारतीय टीम के सदस्य रह चुके थे. वह उस टीम के एकमात्र जीवित सदस्य थे. पूर्व सेंटर हाफ बैक दत्त ने कोलकाता के संतोषपुर में अपने निवास पर देर रात साढ़े बारह बजे अंतिम सांस ली.
केशव दत्त हॉकी में भारत के स्वर्णिम युग का हिस्सा थे. वह 1948 ओलंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा थे, जहां भारत ने लंदन के वेम्बले स्टेडियम में घरेलू टीम ब्रिटेन को 4-0 से हराकर स्वतंत्रता के बाद पहली बार हॉकी में स्वर्ण पदक जीता.
केशव दत्त का जन्म 29 दिसंबर, 1925 को लाहौर में हुआ था. भारत के विभाजन के बाद मुंबई में कुछ वर्ष गुजारने के बाद वह 1950 में कोलकाता चले आए. केशव दत्त ने मोहन बागान हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केशव दत्त के निधन पर दुःख जताया है. उन्होंने लिखा, ' हॉकी जगत ने आज एक वास्तविक महान खिलाड़ी को खो दिया. केशव दत्त के निधन से दुखी हूं. वह 1948 और 1952 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीमों का हिस्सा थे, भारत और बंगाल के चैम्पियन, उनके परिवार और मित्रों के प्रति संवेदनाएं,' हॉकी इंडिया ने भी ट्वीट कर शोक जताया है.
The world of hockey lost one of its true legends today. Saddened at the passing away of Keshav Datt. He was a double Olympic gold medal winner, 1948 and 1952. A champion of India and Bengal. Condolences to his family and friends.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 7, 2021
We mourn the loss of the former Indian Hockey player and two-time Gold Medallist at the 1948 and 1952 Olympics, Keshav Datt. 🙏
— Hockey India (@TheHockeyIndia) July 7, 2021
May his soul rest in peace. #IndiaKaGame #RestInPeace pic.twitter.com/7EV8nWzZyv
हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोमबम ने बयान में कहा, ‘आज तड़के दिग्गज हाफ बैक केशव दत्त के निधन के बारे में सुनकर हम सभी को काफी दुख हुआ. वह 1948 और 1952 ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीमों के एकमात्र जीवित सदस्य थे और आज ऐसा लग रहा है कि एक युग का अंत हो गया.’
उन्होंने कहा, ‘हम सब स्वतंत्र भारत के लिए ओलंपिक में उनके यादगार मुकाबलों की शानदार कहानियां सुनते हुए बड़े हुए और उन्होंने देश में हॉकी खिलाड़ियों की पीढ़ियों को प्रेरित किया.’
1948 के लंदन ओलंपिक मे भारत ने आजादी के बाद अपना पहला गोल्ड मेडल जीता था. 12 अगस्त 1948 को भारतीय हॉकी टीम ने ग्रेट ब्रिटेन को वेम्बले स्टेडियम में 4-0 से करारी शिकस्त दी थी. यह भारतीय हॉकी टीम का लगातार चौथा स्वर्ण पदक था. अंग्रेजों के खिलाफ मिली इस जीत के बाद पूरा देश खुशी से झूम उठा था.
लंदन ओलंपिक से पहले दत्त महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की अगुआई में 1947 में पूर्वी अफ्रीका के दौरे पर भी गए. दत्त हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का भी हिस्सा रहे. भारतीय टीम ने इन खेलों के फाइनल में नीदरलैंड्स को एकतरफा मुकाबले में 6-1 से हराकर लगातार 5वीं बार ओलंपिक खिताब जीता.
भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे दत्त ने 1951-1953 और फिर 1957-1958 में मोहन बागान की हॉकी टीम की अगुआई की. उनकी मौजूदगी वाली मोहन बागान की टीम ने 10 साल में हॉकी लीग का खिताब छह बार और बेटन कप तीन बार जीता.
उन्हें 2019 में मोहन बागान रत्न से नवाजा गया और वह यह सम्मान पाने वाले पहले गैर फुटबॉलर बने.