अब वो दिन बीत गए हैं जब एक कोच एक रूपये का सिक्का रखकर महान पाकिस्तान तेज गेंदबाज फजल महमूद को उस सिक्के पर गेंद फेंकने के लिए कहता था. उन दिनों युवा तेज गेंदबाजों को लेंथ सही करने का यह बेसिक तरीका होता था. पाकिस्तान में आज भी सबसे आम तरीका आंशिक रूप से टेप लगाई गई टेनिस और रबड़ की गेंद से गेंदबाजी करने का है जिससे युवाओं को शुरू से ही रिवर्स स्विंग की कला सीखने में मदद मिलती है.
ऐसा इसलिये क्योंकि गेंद का एक हिस्सा भारी हो जाता है और गेंद खुद ही हवा में स्विंग होने लगती है और फिसलने भी लगती है. वकार यूनिस जैसे गेंदबाजों ने रिवर्स स्विंग पाकिस्तान की सड़कों पर टेप लगी रबड़ की गेंद से खेलकर सीखी है. सिक्के से लेकर टेप लगी गेंद तक कोचिंग के विभिन्न तरीके गेंदबाजों को सुधार करने में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं.
भारतीय टीम ने इसी काम के लिए ऑस्ट्रेलिया से पुतला मंगाया है, जिसका ट्रेनिंग के दौरान कभी कभार ही इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन पाकिस्तानी टीम ट्रेनिंग सेशन में ट्रक के पहिए (आधा काटा हुआ) का इस्तेमाल करती दिखायी दी. यह बिलकुल विचित्र तरीका था क्योंकि टायर बड़े होते हैं, जो शायद वोल्वो ट्रक में इस्तेमाल किये जाते हैं.
टायर को दो हिस्से में काटकर, गुडलेंथ स्थान की तरह लंबवत रख दिया गया. पाकिस्तान के गेंदबाजी कोच मोहम्मद अकरम तेज गेंदबाज उमर गुल, बिलावल भट्टी, जुनैद खान को अर्धचंद्राकर टायर के छेद के अंदर गेंद फेंकने का निर्देश दे रहे थे. कभी कभार वे सही कर रहे थे, कभी ऐसा नहीं कर पा रहे थे.