दक्षिण कोरिया में अगले हफ्ते होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जा रही आठ महिला मुक्केबाजों के प्रेगनेंसी टेस्ट भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने वैश्विक संस्था एआईबीए की नई जरूरतों के तहत कराए. जिन मुक्केबाजों का परीक्षण किया गया उनमें अविवाहित और जूनियर खिलाड़ी भी शामिल थी. छेड़छाड़ करने वाले मनचले की लड़की ने की जमकर पिटाई
बॉक्सिंग इंडिया को एआईबीए ने जेजु आइलैंड में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए जो निमंत्रण भेजा था उसमें स्पष्ट तौर पर महिला मुक्केबाजों के लिए डॉक्टरों द्वारा दिया प्रेगनेंट नहीं होने का प्रमाण पत्र मांगा गया था. साइ के कार्यकारी निदेशक (टीम) सुधीर सेतिया ने पुष्टि की कि परीक्षण किए गए लेकिन कहा कि नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया और यह परीक्षण एआईबीए के नियमों के तहत अनिवार्य हैं.
सेतिया ने कहा, ‘इस मामले को महासंघ के डॉक्टर ने निपटाया. लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारी मुक्केबाज पहली बार ऐसे परीक्षण कराने के बाद देश से बाहर गई हैं. प्रत्येक महिला मुक्केबाज को उसकी सुरक्षा और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए प्रमाण पत्र देना था (कि वह प्रेगनेंट नहीं है)’ उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि यह भारत में संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन एआईबीए नियमों के तहत यह अनिवार्य है. हमने कोई नियम नहीं तोड़ा.’
साइ के सलाहकार डॉ. पीएसएम चंद्रन ने हालांकि प्रेगनेंसी टेस्ट की आलोचना की है और इसे मानवाधिकार का उल्लंघन करार दिया है. भारतीय खेल मेडिसिन महासंघ के अध्यक्ष डॉ. चंद्रन ने कहा कि बॉक्सिंग इंडिया के कहने पर साइ ने यह परीक्षण किए. चंद्रन ने दावा किया, ‘इन मुक्केबाजों को प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए बाध्य किया गया. उन्होंने आदेश दिया और साइ ने ऐसा ही किया. प्रेगनेंसी टेस्ट आठ युवा अविवाहित लड़कियों पर किए गए जिसमें कुछ जूनियर खिलाड़ी भी शामिल हैं और यह मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है.’
उन्होंने कहा, ‘हैरान करने वाली बात यह है कि यह नियमों के खिलाफ किया गया. 31 अगस्त 2014 से प्रभावी एआईबीए के तकनीकी नियमों के अनुसार मुक्केबाजों का गर्भ परीक्षण कराने का कोई प्रावधान नहीं है.' नियम में कहा गया है ‘महिला मुक्केबाज को मेडिकल प्रमाण पत्र के साथ प्रेगनेंट नहीं होने का घोषणा पत्र अतिरिक्त रूप से देना होगा. 18 साल से कम आयु की महिला मुक्केबाजों के लिए इस घोषणा पत्र पर कम से कम उसके एक परिजन या विधि मार्गदर्शक का हस्ताक्षर होना चाहिए.’
बॉक्सिंग इंडिया के सचिव जय कोवली ने हालांकि कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है. चंद्रन ने मांग की कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को आगे आकर खेल में हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि खेलों में हिस्सा लेने के लिए आगे आई लड़कियों के अधिकार और मर्यादा की रक्षा की जा सके.
इनपुटः भाषा से