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स्टुअर्ट ब्रॉड की नाक तोड़ कर इंग्लैंड में मशहूर हुए स्पीडगन वरुण एरोन

भारतीय उपमहाद्वीप में जहां पाकिस्तान को तेज गेंजबाजों की धरती के रूप में जाना जाता है वहीं भारतीय क्रिकेट इससे अब तक महरूम रहा. लेकिन वरुण एरोन के आने के बाद से टीम इंडिया में तेज गेंदबाज की कमी कुछ हद तक कम हो गई है. औसतन 142 किलोमीटर (88.2 मील) प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले वरुण एरोन आज 25 साल के हो गए हैं.

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वरुण एरोन
वरुण एरोन

भारतीय उपमहाद्वीप में जहां पाकिस्तान को तेज गेंजबाजों की धरती के रूप में जाना जाता है वहीं भारतीय क्रिकेट इससे अब तक महरूम रहा. लेकिन वरुण एरोन के आने के बाद से टीम इंडिया में तेज गेंदबाज की कमी कुछ हद तक कम हो गई है. औसतन 142 किलोमीटर (88.2 मील) प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले वरुण एरोन आज 25 साल के हो गए हैं.

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अभी हाल ही में हुए इंग्लैंड के दौरे पर उनकी घातक गेंजबाजी का नजारा हम सबने देखा,जहां उन्होंने दो टेस्ट में लिए तो केवल 5 विकेट लेकिन ये वरुण ही थे जिन्होंने अपनी बाउंसर से इंग्लैंड के स्टुअर्ट ब्रॉड की नाक तोड़ दी थी. उनकी वो शानदार यार्कर तो सबके जेहन में अब तक बसी है जिसकी मोईन अली को सुध तक नहीं लगी और उनके स्टंप्स बिखर गए.

उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए वहीं की काउंटी टीम डरहम ने उन्हें बुलावा भेजा. डरहम ने उन्हें ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर जॉन हैस्टिंग्स की जगह पर अपने विदेशी खिलाड़ी के रूप में चुना है. काउंटी में वरुण अंतिम दो मैच में ही खेल सकेंगे. इस सीजन में चेतेश्वर पुजारा के बाद काउंटी क्रिकेट खेलने वाले वो केवल दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं.

अपनी घातक बाउंसर के लिए मशहूर वरुण कहते हैं, ‘आप बाउंसर के एक-दो विकेट तो ले सकते हैं लेकिन हमेशा यह विकेट नहीं देता इसलिए मैं बल्लेबाज की फुटवर्क के इर्दगिर्द बॉल टप्पा मारता हूं.’

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वरुण कुछ हद तक ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज ग्लेन मैग्रा की लाइन-एंड-लेंथ पर अपनी बॉलिंग रखते दिखते हैं. खुद वरुण कहते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में सफल होने के लिए आपको हमेशा ऑफ स्टंप के ऊपरी सिरे पर अपनी गेंद को हिट करानी होगी.

एमआरएफ पेस फाउंडेशन के प्रोडक्ट, बिहार के सिंहभूम जिले (अब झारखंड) में 29 अक्टूबर 1989 को जन्में वरुण एरोन दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज हैं. उन्होंने अब तक खेले गए तीन टेस्ट मैचों में 8 विकेट और आठ वनडे में 11 विकेट जबकि 30 टी20 मैच में 32 विकेट लिए हैं.

डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार अच्छा खेल रहे वरुण को अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन कर टीम इंडिया में अपनी जगह मजूबत करने पर ध्यान देना होगा वहीं उन्हें लगातार अपनी फिटनेस पर भी काम करना पड़ेगा क्योंकि वो लगातार दो सालों तक चोटिल होने की वजह से टीम इंडिया के लिए नहीं चुने गए.

आज टीवी स्क्रीन पर वरुण के नाम के आगे दाहिने हाथ के तेज गेंदबाज देखकर भले ही उन लोगों के सीने चौड़े हो जाते होंगे जिन्होंने अब तक नामी से नामी भारतीय गेंदबाजों के आगे मध्यम गति का गेंजबाज लिखा देखा होगा और जिनकी हसरत रही होगी कि टीम इंडिया में भी फास्ट बॉलर्स हो लेकिन अभी वरुण को इस तमगे के साथ बहुत कुछ हासिल करना होगा जिससे वो भारतीय क्रिकेट में लंबे समय तक याद रखे जाएं.

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