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OPINION: शाबाश जिम्बाब्वे

इसी इतवार को हरारे स्पोर्ट्स क्लब मैदान पर जिम्बाब्वे ने इस वक्त की फन्ने खां टीम ऑस्ट्रेलिया को तीन विकेट से चित कर दिया. कहने को यह सिर्फ एक खबर है लेकिन क्रिकेट के दीवानों के लिए यह बड़ा जज्बाती लम्हा है. 

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जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को हराया
जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को हराया

इसी इतवार को हरारे स्पोर्ट्स क्लब मैदान पर जिम्बाब्वे ने इस वक्त की फन्ने खां टीम ऑस्ट्रेलिया को तीन विकेट से चित कर दिया. कहने को यह सिर्फ एक खबर है लेकिन क्रिकेट के दीवानों के लिए यह बड़ा जज्बाती लम्हा है.

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क्रिकेट की दुनिया में दम-गुर्दे वाली टीमों की संख्या बढ़ने की बजाय लगातार कम होती गई है. घूम-फिरकर वही ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और फिर इंग्लैंडस श्रीलंका जैसी टीमें. बीच में लगने लगा था कि जिम्बाब्वे के अलावा बांग्लादेश, केन्या और कुछ अन्य नई टीमों के आते जाने से इस खेल के साथ कुछ नई प्रतिभाएं और नई तहजीबें आकर जुड़ेंगी. लेकिन वक्त की अपनी परिभाषा होती है. कुछ टीमों को लालच खा गया तो जिम्बाब्वे में राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की सियासत ने वहां के क्रिकेट का ही सत्यानाश कर दिया.

एंडी फ्लावर, हीथ स्ट्रीक, नील जॉनसन सरीखे शानदार क्रिकेटर एक के बाद एक खेल से या मुल्क से ही गायब हो गए. फ्लावर वही जो अभी हाल तक इंग्लैंड के बल्लेबाजी कोच रहे और जिनके रहते इंग्लैंड ने एशेज में ऑस्ट्रेलिया को जमकर पानी पिलाया. उधर घर पर जिम्बाब्वे की टीम में एकदम नौसिखिए खिलाड़ी आ गए, सालों से जिनका काम किसी भी टीम के खिलाफ दिन-दिन भर पसीना बहाना और हारना रह गया था. खेलते-खेलते वे भी सुर्खरू बनने लगे लेकिन उनका जीत न पाना सचमुच खलता था. जिस मौजूदा त्रिकोणीय सीरीज में जिम्बाब्वे ने ऑस्ट्रेलिया को पटका, उसी से पहले वाले मैच में प्रॉस्पर उत्सेया नाम के उसके एक ऑलराउंडर ने दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत खूंटे वाली टीम के खिलाफ हैट्रिक ली थी. वह भी कोई पुछल्ले नहीं बल्कि ऊपर के धाकड़ बल्लेबाजों को विदा करके. लेकिन भरे मन से ही सही, तब भी अनुमान यही लगाया गया कि जिम्बाब्वे हारेगा और वह हारा.

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नाममात्र की रॉयल्टी पाकर खांटी पेशेवर टीमों के खिलाफ खेल रही, कप्तान चिगुंबुरा की टीम ने अगले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया को पटककर एक तरह से दिखाया है कि होशियार, बहुत हुआ, हम भी अब खेल में आ रहे हैं. और आना ही चाहिए, बहुत हुई 2-4 टीमों की दादागीरी.

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