कहावत है कि नाम में क्या रखा है लेकिन भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ एक ऐसी घटना घटी थी कि इसे निश्चित तौर पर गलत मानने लगे होंगे.
तेंदुलकर ने अपने करियर के दौरान शोएब अख्तर की तूफानी गेंदों के अलावा शेन वार्न की बलखाती गेंदों का बखूबी सामना किया लेकिन 2003-04 में भारत के पाकिस्तान दौरे के दौरान मेजबान टीम के युवा प्रशंसक ने उन्हें सकते में डाल दिया था.
इस दौरे के दौरान तेंदुलकर एक बार शौकत खानूम स्मृति कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र गए और उन्होंने एक बच्चे से मिलने का फैसला किया जिसे उनका बड़ा प्रशंसक बताया गया.
तेंदुलकर ने इस बच्चे से पूछा, ‘तुम्हारा नाम क्या है.’
इस पर उस बच्चे की बहन ने कहा, ‘यह अपने नाम से आपको डरा देगा.’
तेंदुलकर ने जिज्ञासावश पूछा कि ऐसा क्यों जिस पर उस बच्चे ने कहा, ‘मैं ओसामा हूं.’
यह मैदान के बाहर के उन लम्हों में शामिल हैं जो तेंदुलकर के लिए यादगार हैं. तेंदुलकर ने बंगाली फोटो पत्रकार सुमन चटोपाध्याय की तस्वीरों की किताब के लॉंच पर यह बात कहीं तेंदुलकर ने किताब के बारे में कहा, ‘इसमें मेरे जीत के कुछ यादगार क्षण हैं. इससे चैरिटी के लिए भी पैसा इकट्ठा होगा.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता मुझसे कहते थे कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है लेकिन यह चीज हमेशा याद रहती है. आपका स्वभाव और यह कि आप किस तरह के व्यक्ति हो. सभी आपको इसके लिए याद रखते हैं.’
इस कार्यक्रम से तेंदुलकर की चैरिटी फाउंडेशन के लिए 11 लाख रुपये जुटाए गए जबकि तीन लाख रुपये युवराज सिंह की फाउंडेशन को दिए गए.