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कहां गये दिल्ली के भिखारी?

राजधानी दिल्ली की सड़कों के ट्रैफिक सिग्नल पर अक्सर दिखने वाले भिखारी, गुब्बारे, सस्ती पेन, मैगजीन बेचने वाले, लोग बिना किसी सूचना के रातों रात पूरी तरह से गायब हो गये हैं.

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राजधानी दिल्ली की सड़कों के ट्रैफिक सिग्नल पर अक्सर दिखने वाले भिखारी, गुब्बारे, सस्ती पेन, मैगजीन बेचने वाले, लोग बिना किसी सूचना के रातों रात पूरी तरह से गायब हो गये हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता और गैर सरकारी संगठनों ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार ने सैकड़ों भिखारियों को राष्ट्रमंडल खेल समाप्त होने तक गायब रहने के लिये बाध्य किया है जबकि सरकारी अधिकारी इसका खंडन करते हैं .

इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसायटी की इंदू प्रकाश सिंह ने कहा, ‘हमारे पास पुष्ट रिपोर्ट है कि कई गरीब लोगों को रेलवे स्टेशन ले जाया गया और उन्हें अन्य शहरों की तरफ जाने वाली ट्रेनों में बैठा दिया गया . इन लोगों को निर्देश दिया गया है कि खेल समाप्त होने तक वे दिल्ली में नहीं आये.’ सिंह ने कहा, ‘प्रशासन ने गरीब लोगों पर सरकारी डर पैदा किया.’ गैर सरकारी संगठन ‘आश्रय अधिकार अभियान’ के संजय कुमार ने सिंह की बात से सहमति जताते हुए कहा कि उन्हें ऐसी रिपोर्टे मिली है कि गरीब लोगों को दिल्ली से खदेड़ दिया गया है.

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कुमार ने कहा, ‘हमारे पास सूचना है कि कई भिखारियों को ट्रकों में भरकर शहर के बाहर भेज दिया गया. इन भिखारियों को चेतावनी भी दी गई है कि वे खेलों के खत्म होने तक वापस नहीं लौटे.’ उन्होंने कहा, ‘ यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. सबसे पहले सरकार गरीबी की समस्या का मानवीय हल देने में असफल रही और अब वे अपनी इस समस्या को विश्व समुदाय से छिपाना चाहते हैं.’

हालांकि प्रशासन ने इन आरोपों का खंडन किया है. सामाजिक न्याय मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘एक भी भिखारी या बेघर व्यक्ति को खेलों की वजह से शहर के बाहर नहीं भेजा गया है.’

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