टीम इंडिया को अपने पहले ही मैच में जिस करारी हार का सामना करना पड़ा उससे क्रिकेट फैन्स हताश हैं. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को बड़ी आसानी से 141 रनों से हरा दिया. 3 मैचों की वनडे सीरीज के पहले मैच में न टीम इंडिया के गेंदबाज चले न ही धुरंधर बल्लेबाज. अनुभवी ऑल राउंडर युवराज तो किसी नौसिखिये की तरह क्लीन बोल्ड हो गए.
टीम इंडिया का कोई भी बल्लेबाज दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों के सामने टिक नहीं पाया. अकेले कप्तान धोनी टीम की इज्जत बचाने की कोशिश करते रहे. भारत से रवाना होते हुए तो कैप्टन कूल ने जीत की हुंकार भरी थी, लेकिन दक्षिण अफ्रीका पहुंचते ही उनके हाव-भाव ही बदल गए.
दक्षिण अफ्रीका की तेज विकटों को देखकर धोनी को भी पसीना आ गया और उन्होंने मैच से पहले ये बयान दे डाला कि दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर तेजी और उछाल से तालमेल बिठाना उनकी यंगिस्तान टीम के लिए बड़ी चुनौती होगी.
दक्षिण अफ्रीका के कप्तान डी वीलियर्स ने भारत की कमजोरी को पहले से ही ताड़ रखा था और उन्होंने एक-दो नहीं पूरे छह पेसर्स उतार दिए जो एक के बाद एक तूफानी गेंदे फेंकते रहे. उनकी गेंदें उठती थीं और हवा में स्विंग भी करती थीं. भारतीय बल्लेबाजों ने अपना माइंड जरा भी अप्लाई नहीं किया और गेंदों की तेजी का शिकार हो गए.
शिखर धवन मोर्केल की तेज गेंद को भांप नहीं पाए. उन्होंने हुक करना चाहा और बल्ले का टॉप एज लगा बैठे. शिखर धवन ने तो अमला को रन आउट करने का बेहतरीन मौका भी गंवा दिया था. बेचारे रोहित शर्मा तो 16 गेंदों तक तो रन बनाने की स्थिति में ही नहीं थे. वह बस गेंद को किसी तरह संभाल रहे थे. 43 गेंदों में उन्होंने महज 18 रन बनाए और एक ऐसा रन चुराने की कोशिश की जो था ही नहीं. नतीजतन रन आउट हो गए. उन्होंने भी एक कैच छोड़ा था.
युवराज सिंह तो किसी अनाड़ी की तरह आउट हो गए. उन्हें मैकलारेन ने पहले तो जबर्दस्त बाउंसर से स्वागत किया जो उनके चेहरे के पास लगी और दूसरी गेंद विकेटों पर डाली, गेंद थोड़ा सा घूमी और वह खड़े के खड़े रह गए. इतने अनुभवी खिलाड़ी ने इस तरह की गलती की जिसे देखकर हैरानी हुई. सच तो यह है कि यह सीरीज युवराज के लिए अस्तित्व की लड़ाई की सीरीज साबित होगी.
विराट कोहली से बहुत उम्मीदें थीं, उनका कैच छूटा तो लगा कि अब वे बहुत रन बनाएंगे लेकिन एक उठती गेंद पर बहुत आसान सा कैच जैक कालिस को थमा बैठे. उन्होंने 35 गेंदों में 31 रन बनाए और जब लग रहा था कि वह सेट कर रहे हैं तो मैकलारेन की गेंद पर अनिर्णय की स्थिति में कैच पकड़ा बैठे.
पहले चार विकेट महज 65 रनों पर गिरने के बाद यह तय हो गया था कि भारत इल पहाड़ से स्कोर का मुकाबला नहीं कर सकता है. धोनी ने हमेशा की तरह एक कप्तान की पारी खेली और 65 रन बनाए जिसमें भारत की ओर से इकलौता छक्का भी था. वह 41 वें ओवर में आउट हुए. तब तक जडेजा, अश्विन और भुवनेश्वर पवेलियन जा चुके थे.
दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों की टीम महज 41 ओवरों में आउट हो गई. कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं दिखा. लेकिन इसी पिच पर पहले गेंदबाजी करते हुए भारतीय बिल्कुल साधारण दिख रहे थे. स्पिनरों ने तो बहुत निराश किया. अश्विन और जडेजा बिल्कुल क्लब लेवल की गेंदबाजी कर रहे थे. कभी वे शॉर्ट गेंदें करते तो कभी फुल टॉस. उनकी गेंदबाजी निराशाजनक थी. गेंद टर्न तो ले ही नहीं रही थी और उन्होंने दिमाग भी नहीं लगाया. इसका नतीजा आखिरी 7 ओवरों में 85 रन बने जिसने भारत के हाथ से मैच पहले ही निकाल दिया.
हमारे तेज गेंदबाज वहां 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदें फेंक रहे थे. उन्होंने इस रफ्तार से शॉर्ट गेंदें फेंकी जो बिलकुल नहीं करनी चाहिए थी. जाहिर है पिटाई तो होनी ही थी. भुवनेश्वर कुमार और मोहित तो लीग में खेलने वालों की तरह गेंदें कर रहे थे. मोहित शर्मा ने तो 10 ओवरों में 82 रन दे दिए और वह भी बिना विकेट लिये. मुहम्मद शमी एकमात्र गेंदबाज थे जिन्होंने अच्छी गेंदबाजी करते हुए 68 रन देकर 3 विकेट झटके.
इस मैच से भारतीयों ने कुछ सबक तो सीखा ही होगा. अब डरबन में होने वाले मैच में वे अपनी खामियों को कितनी सुधार पाते हैं और कितना सुधार कर पाते हैं, यह देखना होगा.