इंग्लैंड की कमजोर टीम के खिलाफ पहले टेस्ट मैच के ड्रॉ रहने के बाद एक बार फिर टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के खिलाफ आवाज उठने लगी है. इस बार ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटर इयान चैपल ने धोनी के खिलाफ यह बिगुल फूंका है. चैपल का कहना है कि धोनी को टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि वो टेस्ट क्रिकेट का अच्छा कप्तान नहीं है.
इससे पहले भी इसी साल न्यूजीलैंड में टेस्ट सीरीज हारने पर गांगुली ने भी कुछ ऐसा ही राग छेड़ा था. तो क्या वक्त आ गया है कि धोनी टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ दें? चलिए हम आपको समझाते हैं कि क्या है पूरा माजरा? बताते हैं, क्यों अभी भी धोनी की टेस्ट कप्तानी का कोई विकल्प नहीं है?
फिर क्यों उठ रही है आवाज
धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया को विदेशी धरती पर कोई टेस्ट जीते हुए तीन साल से अधिक हो गए हैं और उनको हटाने की मांग के पीछे यही सबसे बड़ा कारण है. धोनी ने भारत के लिए विदेशी धरती पर अंतिम बार जून 2011 में कोई टेस्ट जीता था. तब वेस्टइंडीज को टीम इंडिया ने हराया था. उस जीत के बाद से अब तक विदेशी धरती पर टीम इंडिया को लगातार सिर्फ हार का ही सामना करना पड़ा है. आंकड़ों के मुताबिक वेस्टइंडीज में मिली उस जीत के बाद से टीम इंडिया ने 15 टेस्ट खेले हैं और इनमें से 10 में हार का सामना करना पड़ा है जबकि पांच टेस्ट ड्रॉ रहे हैं.
धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया
यहां यह जानना जरूरी है कि टीम इंडिया ने अब तक कुल 121 टेस्ट जीते हैं और इनमें से 26 में जीत धोनी की कप्तानी में मिली है. अब तक किसी भी कप्तान से ज्यादा. इतना ही नहीं टीम इंडिया ने विदेशी धरती पर अब तक केवल 37 टेस्ट मैच जीते हैं और इनमें से 6 में जीत धोनी के नेतृत्व में मिली है.
धोनी टेस्ट मैचों में जीत के लिहाज से नंबर वन भारतीय कप्तान हैं. अब तक महेंद्र सिंह धोनी ने 54 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया की कप्तानी की है और इनमें से 26 टेस्ट (जीत प्रतिशत 48.15 फीसदी) में जीत मिली है. टेस्ट मैच में जीत के मामले में धोनी किसी भी भारतीय कप्तान से कहीं आगे हैं. इस फेहरिस्त में गांगुली (21 टेस्ट जीत), मोहम्मद अजहरुद्दीन (14 टेस्ट जीत), गावस्कर और पटौदी (9 टेस्ट जीत), द्रविड़ (8 टेस्ट जीत), बेदी (6 टेस्ट जीत), कपिल देव, सचिन तेंदुलकर और अजित वाडेकर (4 टेस्ट जीत) धोनी से कहीं पीछे हैं.
अपनी कप्तानी में धोनी का प्रदर्शन
महेंद्र सिंह धोनी ने 2005 से अब तक 54 टेस्ट की 84 पारियों में 3,130 रन बनाये हैं. एक कप्तान के रूप में सर्वाधिक रन के मामले में धोनी 319 रनों के अंतर से दूसरे नंबर पर हैं. यह रिकार्ड सुनील गावस्कर के नाम है. गावस्कर ने 47 टेस्ट की 74 पारियों में 3449 रन बनाये हैं. हालांकि कप्तान के रूप में शतकों के मामले में धोनी गांगुली और पटौदी के साथ चौथे पायदान पर हैं. इन तीनों ने अपनी कप्तानी के दौरान पांच-पांच शतक जड़े हैं. गावस्कर 11 शतक, अजहर 9 शतक, तेंदुलकर 7 शतक के साथ इस मामले में उनसे आगे हैं.
इतना ही नहीं धोनी के नाम कप्तानी पारी खेलते हुए एक टेस्ट पारी में सर्वाधिक रन बनाने का रिकार्ड भी है. धोनी ने यह रिकार्ड पारी (224 रन) पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली. यहां यह गौर करने वाली बात है कि धोनी के अलावा गावस्कर और सचिन तेंदुलकर ही ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने अपनी कप्तानी में दोहरा शतक जड़ा है.
अब जरा इन आंकड़ों को भी देखें
* घरेलू मैदान पर टीम इंडिया के किसी भी कप्तान से ज्यादा धोनी ने जीत दिलाये हैं.
* किसी भी टेस्ट टीम को 4-0 से सीरीज हराने वाले एक मात्र कप्तान.
* ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को धोनी के अलावा किसी और कप्तान ने 4-0 से शिकस्त नहीं दी.
* न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्ट सीरीज जीतने वाले इकलौते कप्तान.
* वेस्ट इंडीज के खिलाफ तीन सीरीज जीतने वाले एकमात्र भारतीय कप्तान.
* विकेट के पीछे 266 कैच व स्टंपिंग करने वाले धोनी सबसे सफल भारतीय विकेटकीपर भी हैं.
आंकड़े झूठ नहीं बोलते और बतौर कप्तान धोनी टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान हैं. इयान चैपल के आवाज उठाने के बावजूद धोनी की कप्तानी पर कोई खतरा नहीं दिखता. जब आंकड़े इतने दमदार हैं तो भला टीम इंडिया का यह सबसे सफल कप्तान क्यों छोड़े चैपले के कहने पर कप्तानी?
इंग्लैंड में टीम इंडिया 55 सालों के बाद पांच टेस्ट की सीरीज खेल रही है और अभी 4 मैच खेले जाने बाकी हैं. उम्मीद है कि टीम इंडिया इनमें से कुछ टेस्ट जीत कर सीरीज अपने नाम करेगी और इसके बाद धोनी की कप्तानी की चर्चा फिर होगी. तब उन्हें हटाने की नहीं बल्कि उनका महिमामंडन करने की चर्चा होगी.